Saturday, December 21, 2024
HomeBusinessपूर्वी मेदिनीपुर में सूखी मछली कारोबार पर मंडरा रहा खतरा

पूर्वी मेदिनीपुर में सूखी मछली कारोबार पर मंडरा रहा खतरा

Dried Fish Business: पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के जूनपुट बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट पर बनने वाला मिसाइल लॉन्चिंग पैड से 6000 से अधिक सूखी मछली के कारोबार में लगे मछुआरों की आजीविका पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है. सरकार ने इस स्थान पर मिसाइल लॉन्चिंग पैड बनाने की योजना तो बना दिया है, लेकिन बंगाल की पारंपरिक कारोबार करने वाले इन मछुआरों के रोजगार का इंतजाम नहीं किया है. इस कारण यहां के मछुआरे अपने कारोबार और रोजगार को लेकर खासे चिंतित नजर आ रहे हैं.

सूखी मछली के कारोबार का प्रमुख केंद्र है जूनपुट

इंडियास्पेंड हिंदी की एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर का जूनपुट मछले के कारोबार का प्रमुख केंद्र है. खासकर, सूखी मछली के कारोबार के लिए यह काफी प्रसिद्ध है. यहां के करीब 6000 से अधिक मछली कारोबारियों में एक तिहाई संख्या महिलाओं की है. जूनपुट पूर्वी मेदिनीपुर के कोंतई-1 ब्लॉक में आता है. यह इस इलाके का सबसे बड़ा और पुराना मछली भंडारण केंद्र है.

मिसाइल लॉन्चिंग पैड से सूखी मछली के कारोबार पर खतरा

रिपोर्ट में लिखा गया है कि जूनपुट के करीब 6000 से अधिक लोग सीधे तौर पर मछली का कारोबार करते हैं. ये सभी छोटी मछलियों को सूखाकर बचने का काम करते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में सुटकी भी कहा जाता है. छोटी मछलियों को सुखाने में कम से कम एक से दो हफ्ते का समय लगता है. इन सूखी मछलियों के किस्म के हिसाब से दाम मिलता है. किस्म के आधार पर बाजार में सूखी मछलियों का दाम 100 से 600 रुपये तक मिल जाती है. पश्चिम बंगाल में जिंदा या सूखी मछली के कारोबार को खोटी कहा जाता है. अब जबकि जूनपुट में मिसाइल लॉन्चिंग पैड का निर्माण कराया जा रहा है, तो खोटी या सूखी मछली के कारोबार पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है.

असम और त्रिपुरा में बेची जाती है जूनपुट की सूखी मछली

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय निवासी इस बात से चिंतित हैं कि मिसाइल लॉन्चिंग पैड के निर्माण हो जाने के बाद जब कभी भी किसी मिसाइल को लॉन्च या परीक्षण किया जाएगा, तब उसके तीन किलोमीटर के दायरे में बसे लोग और जानवरों को हट जाना होगा. उनका कहना है कि जूनपुट में करीब 5 से 10000 लोग मछली के कारोबार से प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष तरीके से जुड़े हुए हैं. मिसाइल लॉन्चिंग पैड के बनने के बाद इन सभी का कारोबार प्रभावित होगा. स्थानीय निवासियों का कहना है कि मिसाइल लॉन्चिंग पैड के बनने से उनके रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उनका सूखी मछली का कारोबार चौपट हो जाएगा. इसका कारण यह है कि जूनपुट से सूखी मछली असम और त्रिपुरा के बाजारों में बेची जाती है. जब यहां पर इसका उत्पादन ही नहीं होगा, तो इन दोनों राज्यों में इसकी आपूर्ति करना ही संभव नहीं है.

बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट में बन रहा मिसाइल लॉन्चिंग पैड

पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के जूनपुट में बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट में मिसाइल लॉन्चिंग पैड का निर्माण कराया जा रहा है. इस साल 2023 में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट घोषित किया था. यह बंगाल की खाड़ी से सटा हुआ इलाका है. 16 मई 2023 को पश्चिम बंगाल सरकार के पर्यावरण विभाग की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि पूर्वी मेदिनीपुर के कोंतई -1 ब्लॉक के बिरामपुर से मजिलापुर के बगुरान जलपाई तक 7.3 किमी के स्ट्रेच इंटरटाइडल जोन (अंतज्वार्रीय क्षेत्र) है, जो केकड़ों की कुछ विशिष्ट प्रजातियों और कई अन्य तटीय जीवों को आवास प्रदान करता है.

कई वन्य जीवों का शरणस्थली है जूनपुट का इलाका

इस अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि यह स्ट्रेच वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के तहत अधिसूचित कई जीवों का भी घर है. इनमें मॉनिटर लिजार्ड (गोह), नेवला, गोल्डन जेकल (एक प्रकार का शियार) फॉरेस्ट कैट शामिल हैं. इसके अलावा, जीवों के पोषण में टीलों और तटीय झाड़ियों का भी काफी महत्व है. इस स्ट्रेच को जैवविविधता विरासत स्थल, बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट घोषित किए जाने के बाद से इस जगह के लिए भारत सरकार का जैव विविधता अधिनियम 2002 और पश्चिम बंगाल सरकार का जैव विविधता नियम 2005 प्रभावी हो जाता है. अधिसूचना के मुताबिक, इस स्ट्रेच के तहत आने वाले मौजा और जेएल में बागुरान जलपाई जेएल-563, सरतपुर जेएल-567, मनकराईपुट जेएल-569, श्यामरायभर जलपाई जेएल-570, बिरामपुर जेएल-583 शामिल हैं. इसका क्षेत्रफल 95.91 हेक्टेयर है. अधिसूचना में इस स्थल के संरक्षण के लिए जिला और ब्लॉक पर बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट मैनेजमेंट कमेटी बनाने की बात कही गई है. बिरामपुर मौजा जेएल 583 में ही मिसाइल लॉन्चिंग पैड का निर्माण प्रस्तावित है.

मछुआरों के सवालों का नहीं मिला है जवाब

इंडियास्पेंड हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण बंग मत्स्यजीवी फोरम के अध्यक्ष और पूरब मेदिनीपुर मत्स्यजीवी फोरम के महासचिव देवाशीष श्यामल ने कहा कि जूनपुट में 6500 मछुआरे हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन इसके नाम पर आप मछुआरों आजीविका के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से जानकारी पाने के लिए उन्होंने सूचना के अधिकार कानून 2005 के तहत आवेदन किए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक इसका जवाब नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि हमने सुरक्षा और गोपनीयता से जुड़ा सवाल नहीं पूछा है, बल्कि हमने मछुआरों के रोजगार और आम लोगों के हितों से जुड़े सवाल पर जानकारी मांगी है. फिर भी सरकारी विभाग इसकी जानकारी देना मुनासिब नहीं समझते.

Go Digit IPO को मिला विराट-अनुष्का का साथ, इश्यू लॉन्च होने पर देंगे मल्टीबैगर रिटर्न

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी लिखी चिट्ठी

रिपोर्ट में कहा गया है कि इतना ही नहीं, देवाशीष श्यामल ने 11 मार्च 2024 को मछुआरों के रोजगार और आम आदमी की समस्या से संबंधित एक चिट्ठी केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी लिखी है. इसमें लिखा गया है कि डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) जूनपुट समुद्र तट पर बिरामपुर मौजा में जेएल – 583 पर लांचिंग पैड प्रस्तावित है. राष्ट्रीय सुरक्षा हर नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय समुदाय पूरी तरह अंधेरे में है. उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि इसका उन पर क्या असर पड़ेगा. मिसाइल प्रक्षेपण का विस्फोट कहां होगा और उसका मलबा कहां गिरेगा. जूनपुट और उसके इर्द-गिर्द के कॉस्टल इको सेंसिटिव जोन पर क्या असर होगा. इस चिट्ठी में उन्होंने जिक्र किया है कि प्रस्तावित निर्माण स्थल बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट का हिस्सा है.

महंगाई के आंकड़े और तिमाही नतीजे तय करेंगे बाजार की चाल


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular