Monday, November 18, 2024
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Manoj Bajpayee की फिल्म भैयाजी को ना करने वाली थी एक्ट्रेस जोया हुसैन .. बतायी ये थी वजह  – Prabhat Khabar

manoj bajpayee की फिल्म भैयाजी का ओटीटी प्रीमियर 26 जुलाई को जी 5 पर होने जा रहा है. इस फिल्म में अभिनेत्री जोया हुसैन, मनोज बाजपेयी के अपोजिट नजर आयी थी. उनकी इस फिल्म से जुड़ाव , स्टंट सहित दूसरे पहलुओं पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत 

भैयाजी जब  रिलीज हुई थी तो आपको सबसे अच्छा कॉम्पलिमेंट सुनने को क्या मिला था ?
फिल्म भैयाजी जब रिलीज हुई थी. फिल्म में मेरा परफॉरमेंस काफी एक्शन ओरिएंटेड था,जिस वजह मुझे मेरे घरवाले  बहन जी कहने लगे थे.  मैंने अपनी इमेज से कुछ अलग किया था.जिससे कई लोगों ने मुझसे यही बात कही थी.

 भैयाजी फिल्म से किस तरह से आपका जुड़ना हुआ था ?

ये इत्तेफाक की बात है कि फिल्म एक बंदा है काफी मैंने देखी. उसके बाद ही मैं उसके निर्देशक अपूर्व से मिली. इस फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर शिवम् है.  मुझे उसका कॉल आया.मुझे बस यही बात पता थी कि अपूर्व  एक फिल्म मनोज जी के साथ बना रहे हैं. मनोज जी फिल्म में हैं.  मुझे लगता है कि यह बात किसी को भी फिल्म से जोड़ने के लिए काफी है, तो मैं अपूर्व से मिलने पहुंच गयी.  अपूर्व ने कहानी बताई एक्शन के बारे में बताया तो सबकुछ बहुत ही उत्साह से भरने वाला था, तो मैंने हां कह दिया.

इस फिल्म से जुड़ा सबसे मुश्किल पहलू आपके लिए क्या था?
इसका एक्शन सबसे मुश्किल पहलू था.इस फिल्म के लिए मुझे बहुत तैयारी भी करनी पड़ी थी क्योंकि हमारे जो एक्शन मास्टर विजय थे.  वो साउथ में लीजेंड एक्शन मास्टर में से एक हैं. उनकी बहुत बड़ी टीम है. बॉम्बे में तो हमारी जो नार्मल फिजिकल ट्रेनिंग जो थी.  वो तो थी ही.लखनऊ जाकर भी हमारे बहुत ज्यादा रिहर्सल थी. हार्नेस के साथ, केबल के साथ. ताकि लगे कि हम सच में ऐसा कर रहे हैं और पूरे आत्मविश्वास के साथ करें. नाईट के जो एक्शन सीन हैं. उसकी शूटिंग के वक्त बहुत ही गर्मी पड़ रही थी. इतनी गर्मी में बार-बार एक्शन का टेक देना आसान नहीं था.

फिल्म के ट्रेलर और प्रमोशन में आपको रखा नहीं गया था, क्या इस पहलू ने आपको परेशान किया था ?

आजकल फिल्मों के साथ अलग – अलग प्रमोशन स्ट्रेटजी जुड़ी होती है.इस फिल्म के मेकर्स जो थे , वो चाहते थे कि फिल्म का यह जो पहलु है. वो थोड़ा सीक्रेट रहे. फिल्म जब रिलीज हो और दर्शक उसे देखे, तो इस बात का खुलासा हो. 

फिल्म में आपका वजन काफी बढ़ा हुआ था ? 

मुझे कुछ हेल्थ से रिलेटेड परेशानियां हुई थी. जिस वजह से फिल्म की शूटिंग के वक्त मेरा वजन काफी बढ़ा हुआ था. शुरुआत में सोच भी रही थी कि  फिल्म को करूं या ना करूं. लगा कि ना ही करूं क्या ,लेकिन मुझे मेकर्स ने बहुत ही कंफर्टेबल करवाया. शूटिंग के दौरान भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई थी. दरअसल मेकर्स इस फिल्म से  हर तरह स्टीरियोटाइप  टाइप तोड़ना  चाहते थे. हीरोइन का वजन उसके अभिनय को परिभाषित नहीं कर सकता है.यह बात आपको फिल्म देखते हुए महसूस होगी।

आपकी फिल्मोग्राफी देखे तो भैया जी आपकी पहली फिल्म होगी जो लार्जर देन लाइफ  थी?
 मैंने  बस इस बात पर गौर किया कि मुझे अपूर्व के साथ काम करना है. मनोज जी के साथ काम करना है. वैसे  जब मैं किसी स्क्रिप्ट को चुनती हूं, तो  मेरा ध्यान इस बात पर सबसे ज्यादा रहता है कि मेरा किरदार रिलेटेबल हो और इस फिल्म का किरदार ऐसा ही था.

आपने कहा कि मनोज बाजपेयी इस फिल्म से जुड़ने की एक अहम वजह थे, तो उनके साथ के अनुभव को आप किस तरह से परिभाषित करेंगी?

सच कहूं तो शुरुआत में मैं बहुत नर्वस थी कि कैसे बात करुं. जब हम मिले, रिहर्सल साथ हुई. सीन्स पढ़े. असल में वह अपनी स्क्रीन इमेज  से बहुत ही  अलग हैं. वह बहुत ही मजाकिया हैं. एक्टर ही नहीं बल्कि क्रू मेंबर के साथ भी वह मजाक करते रहते हैं. वे स्टार्स की तरह अलग नहीं उठते बैठते हैं, बल्कि के साथ मिल जुलकर रहना पसंद करते हैं. जिस वजह से मैं भी उनके साथ बहुत ही सहज हो गई.फिर सीन करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। 

फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफलता नहीं मिली क्या दुःख होता है ?

निश्चित तौर पर फिल्म नहीं चलती है , तो दुख होता ही है. एक फिल्म को बनने में कई सौ लोगों की मेहनत होती है. हम सभी ने बहुत मेहनत की थी.

सोशल मीडिया इनदिनों एक्टर्स की लाइफ का अहम हिस्सा बन गया है ?

मुझसे तो सब परेशान रहते हैं. परिवार वाले ,दोस्त हो या फिर कास्टिंग डायरेक्टर्स.सब मेरी टांग खींचते हैं कि आपसे ज्यादा पेड़ पौधों और जानवरों की तस्वीरें होती हैं.सभी मुझसे बोलते हैं कि हीरोइन हो कम से कम कुछ तो तस्वीर अपनी रखो. 

आपकी आनेवाली फिल्में?

एक्सेल के  साथ एक फिल्म कर रही हूं , जो थिएटर में रिलीज होगी. दिबाकर बनर्जी के साथ भी मैंने एक फिल्म की है. वो भी इसी साल रिलीज थिएटर में होगी. इसके अलावा एक और फिल्म है. फिलहाल वह दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स का भ्रमण कर रही है. 

क्या थिएटर की फिल्मों पर ज्यादा फोकस रहने वाला है ?
थिएटर और ओटीटी दोनों में मैं बैलेंस करके चलना चाहती हूं. ओटीटी में बहुत सारा अलग – अलग काम है,तो थिएटर में बड़े परदे पर खुद को देखने की ख़ुशी ही अलग होती है.



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