Generative AI: जेनरेटिव एआई (जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से मालवेयर और जालसाजों के हमले बढ़ने का खतरा अधिक है. आइडेंटिटी प्रोटेक्शन प्लेटफॉर्म साइबरआर्क की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि जेनरेटिव एआई संभावनाओं के साथ जोखिम भी लेकर आता है. दुनियाभर के साइबर सुरक्षा दिग्गजों का एक बड़ा हिस्सा इसके नकारात्मक प्रभाव को लेकर पहले से तैयार है.
मालवेयर अटैक और जालसाजी का खतरा अधिक
साइबरआर्क के सर्वेक्षण में 93 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें एआई से नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है, जिसमें एआई-ऑपरेटेड मालवेयर और जालसाजी का खतरा सबसे अधिक है. साइबरआर्क की ‘पहचान सुरक्षा खतरा परिदृश्य रिपोर्ट-2024’ में 18 देशों के 2,400 साइबर सुरक्षा जानकारों के बीच कराए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें पाया गया कि जेनरेटिव एआई के साथ मशीन की पहचान बढ़ने और थर्ड और फोर्थ पार्टी के जोखिम बढ़ने से साइबर लोन का निर्माण जारी है. साइबर लोन का अर्थ कंप्यूटर, सर्वर और एप्लिकेशन जैसे टेक्निकल डिवाइसेस को सही स्थिति में बनाए रखने पर आने वाली लागत से है.
साइबर सुरक्षा में एआई की मदद
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 99 फीसदी संगठन साइबर सुरक्षा के लिए एआई की मदद लेते हैं. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहचान-संबंधी हमलों की मात्रा और इसके ट्रांसफॉर्म्ड यूज में बढ़ोतरी की भी आशंका है. कुशल और अकुशल दोनों तरह के हमलावर एआई-पावर्ड मालवेयर और जालसाजी की अपनी क्षमताएं बढ़ा रहे हैं. कुल 93 फीसदी उत्तरदाताओं को आशंका है कि वित्त वर्ष 2024-25 में उनके संगठनों के लिए एआई-संचालित टूल साइबर जोखिम पैदा कर सकते हैं.
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डीपफेक वीडियो ने भी बढ़ाई चिंता
रिपोर्ट में चुनावों के समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से गलत सूचना पर आधारित डीपफेक वीडियो के बढ़ते चलन पर भी चिंता जताई गई है. इस साल दुनियाभर में 60 से अधिक देशों में चार अरब से अधिक मतदाता अपने नेताओं का चुनाव करने वाले हैं. ऐसे में डीपफेक वीडियो चुनाव परिणाम प्रभावित करने की मंशा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए पसंदीदा हथियार बन जाते हैं.
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