Tuesday, October 22, 2024
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Mahesh Navami 2024: कब है महेश नवमी, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और इस दिन का महत्व

Mahesh Navami 2024: महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है. माहेश्वरी समाज का नाम भगवान शिव के इसी नाम से पड़ा है, इसलिए इस समाज में महेश नवमी का विशेष महत्व है. हालांकि, भगवान शिव के सभी भक्त इस दिन महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि साल 2024 में महेश नवमी का त्योहार कब मनाया जाएगा और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा.

महेश नवमी 2024 तिथि और पूजा मुहूर्त

महेश नवमी का पावन पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. साल 2024 में यह तिथि 15 जून को पड़ी है. शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 14 जून की रात 12 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 15 जून की देर रात 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, महेश नवमी 15 जून को मनाई जाएगी. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 08 मिनट से 8 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होगा.

महेश नवमी के दिन जरुर करें ये काम

महेश नवमी के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विधान है. इस दिन सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव को चंदन, पुष्प, गंगाजल आदि अर्पित करके पूजन आरंभ करें. पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करें और शिव मंत्रों का जप करें, जिससे विशेष लाभ प्राप्त होगा. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें. व्रत रखने वालों को फलाहार करना चाहिए और दिन के समय सोने से बचना चाहिए. महेश नवमी के दिन दान-पुण्य करने से शिव कृपा भी प्राप्त होती है.

महेश नवमी पूजा विधि

  • महेश नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें.
  • फिर घर के मंदिर को अच्छे से साफ करें और गंगा जल का छिड़काव करें.
  • इसके बाद अब एक चौकी पर शिव परिवार की मूर्ति स्थापित करें.
  • शिव परिवार के साथ ही शिवलिंग की पूजा और अभिषेक करें.
  • इसके बाद शिव जी को फूल, गंगा जल, बेलपत्र और माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें.
  • अब शिव के समक्ष घी का दीपक जलाएं और शिव के मंत्रों का जाप करें.
  • महेश नवमी के दिन दान-पुण्य करना करने से भी शिव कृपा आपको प्राप्त होती है.
  • पूजा के अंत में आरती करके व्रत का पारण करें.

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महेश नवमी का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महेश नवमी के दिन भगवान महेश और मां पार्वती ने ऋषियों के श्राप से पत्थर बन चुके 72 क्षत्रियों को मुक्त किया था. इसके बाद माता पार्वती ने उन क्षत्रियों को आशीर्वाद दिया कि उनके कुल पर हमेशा उनकी छाप रहेगी और उनका वंश माहेश्वरी के नाम से जाना जाएगा. इसलिए माहेश्वरी समाज में महेश नवमी के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के महेश रूप की आराधना करने से सभी दुखों और विपदाओं से मुक्ति मिल जाती है.


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