Monday, October 21, 2024
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Mahalaxmi Vrat 2024: महालक्ष्मी व्रत की शुरूआत कल से, जानें व्रत विधि

Mahalaxmi Vrat 2024: बिहार और पूरे भारत में भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत 11 सितंबर 2024, बुधवार से प्रारंभ हो रहा है. यह व्रत विशेष रूप से धन, सुख-समृद्धि, और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है. जो भी श्रद्धालु पुरे मनोयोग से माता महालक्ष्मी का पूजन करता है और विधि-विधान से व्रत का पालन करता है, उसके घर में कभी भी धन और सुख की कमी नहीं होती.

महालक्ष्मी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का बहुत बड़ा महत्व है. इसे धन, वैभव, और सौभाग्य की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस व्रत में पूरे 16 दिनों तक माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि अगर इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाए, तो माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.

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महालक्ष्मी व्रत के दौरान माता महालक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और धन की वृद्धि होती है.

महालक्ष्मी का पूजन करें: माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें. पूजा के दौरान धूप, दीप, और पुष्प अर्पित करें.

चंद्रमा को अर्घ्य दें: रात को चंद्रमा को कच्चे दूध और पानी से अर्घ्य अर्पित करें. यह माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है.

महालक्ष्मी व्रत विधि

सर्वप्रथम पूजन सामग्री तैयार करें

देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र
फूल, दीपक, अगरबत्ती
फल, मिठाई (जैसे कि लड्डू)
चावल, दूध, शहद, घी
एक थाली, पूजा की सामग्री

ऐसे करें पूजा

पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक सफेद वस्त्र बिछाएं.
देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति को पूजा स्थान पर रखें.
अर्चना (पूजा):

सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, ताकि पूजा में कोई विघ्न न आए.
देवी लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती जलाएं.
फिर देवी लक्ष्मी के चित्र या मूर्ति को स्नान कराएं (अधिकतर दूध या पानी से) और फिर वस्त्र पहनाएं.
देवी लक्ष्मी के लिए आभूषण और फूल चढ़ाएं.
“ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः” या “श्री लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें.
नैवेद्य (भोग) अर्पण करें.

देवी लक्ष्मी को फल, मिठाई और अन्य भोग अर्पित करें.
भोग अर्पण के बाद, उसकी पूजा करें और खुद भी भोग ग्रहण करें.
अर्चना के बाद:

देवी लक्ष्मी की आरती करें और आरती के समय “ध्यान श्री महालक्ष्मी” मंत्र का जाप करें.
पूजा के समापन पर देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करें.

ब्राह्मणों को भोजन कराएं

व्रत के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना एक महत्वपूर्ण कदम है. इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है.

महालक्ष्मी मंत्र का जप: माता महालक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करने से व्रत की सफलता और माता की कृपा प्राप्त होती है. आप निम्न मंत्रों में से किसी एक का जप कर सकते हैं:

ॐ श्रीं नमः
ॐ विष्णु प्रियाय नमः
ॐ महा लक्ष्मै नमः

मंत्रों का जाप करते समय ध्यान रखें कि श्रद्धा और भक्ति भाव से ही माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.

महालक्ष्मी व्रत के लाभ

धन-वैभव की प्राप्ति: जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से करता है, उसके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती.

मानसिक शांति: इस व्रत के दौरान पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन शांत रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

सुख-समृद्धि का वास: महालक्ष्मी व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और सभी प्रकार के संकटों का नाश होता है.

व्रत करने का संकल्प

व्रत की शुरुआत में भक्तजन महालक्ष्मी माता से संकल्प लेते हैं कि वे पूरे मनोयोग से व्रत का पालन करेंगे. इस दौरान व्रतधारी को सात्विक भोजन करना चाहिए और पूर्ण संयम के साथ व्रत का पालन करना चाहिए.

व्रत का समापन

16 दिनों तक चलने वाला यह व्रत आश्विन कृष्ण अष्टमी को समाप्त होता है. व्रत के समापन पर श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
महालक्ष्मी व्रत एक ऐसा अवसर है जब भक्तजन माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पूरे मन और श्रद्धा से पूजन करते हैं. इस व्रत को करने से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि मानसिक शांति, परिवार में सुख-शांति, और समृद्धि का भी वास होता है. अगर आप भी इस व्रत का पालन करेंगे, तो माता लक्ष्मी की कृपा से आपके जीवन में भी धन और समृद्धि का आगमन होगा.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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