M-pox virus: मंकीपॉक्स वायरस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका में पाई जाती है. हाल के वर्षों में, इसके मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे यह एक चिंता का विषय बन गया है. आइए, मंकीपॉक्स वायरस के कारण, प्रभाव और उपचार के बारे में जानें.
कारण
मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों से फैलता है, जैसे बंदर, गिलहरी और चूहे. यह वायरस संक्रमित जानवरों के खून, शरीर के तरल पदार्थ या उनके घावों के संपर्क में आने से इंसानों में फैल सकता है. इसके अलावा, संक्रमित व्यक्ति के नजदीक रहने, शारीरिक संपर्क, और उसकी खांसी या छींक के कारण भी यह फैल सकता है. संक्रमित कपड़े या बिस्तर भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं.
प्रभाव
मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण आमतौर पर 5 से 21 दिनों के भीतर दिखने लगते हैं. मुख्य लक्षण हैं..
1. बुखार
शुरुआत में तेज बुखार होता है.
2. दर्द
सिरदर्द, पीठ में दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है.
3. थकान
बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है.
4. लिम्फ नोड्स की सूजन
गर्दन, कांख और जांघों में लिम्फ नोड्स की सूजन हो जाती है.
5. दाने
बुखार के कुछ दिनों बाद शरीर पर दाने निकलते हैं, जो चेहरे से शुरू होकर पूरे शरीर में फैलते हैं. ये दाने बाद में फफोले और पपड़ी में बदल जाते हैं.
उपचार
मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष दवा नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं.
1. दर्द और बुखार कम करना
बुखार और दर्द कम करने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाएं ली जा सकती हैं.
2. आराम और पोषण
मरीज को आराम, तरल पदार्थ और पौष्टिक खाना देना चाहिए.
3. संक्रमण रोकना
संक्रमित व्यक्ति को अलग रखना चाहिए ताकि दूसरों को संक्रमण न हो.
4. टीकाकरण
मंकीपॉक्स के लिए कोई खास टीका नहीं है, लेकिन स्मॉलपॉक्स का टीका कुछ हद तक मददगार हो सकता है.
5. एंटीवायरल दवाएं
कुछ एंटीवायरल दवाएं, जैसे टेकोवीरिमैट (Tecovirimat), मंकीपॉक्स के इलाज में मदद कर सकती हैं.
बचने के उपाय
मंकीपॉक्स से बचने के लिए ये उपाय किए जा सकते हैं.
1. जानवरों से बचाव
जंगली जानवरों से दूर रहें और उन्हें पालतू न बनाएं.
2. संक्रमित व्यक्ति से दूरी
संक्रमित व्यक्ति से दूर रहें और उनकी चीजों को सावधानी से छुएं.
3. स्वच्छता
हाथ धोएं और सफाई का ध्यान रखें.
4. टीकाकरण
जिन क्षेत्रों में मंकीपॉक्स ज्यादा फैल रहा है, वहां स्मॉलपॉक्स का टीका लगवाया जा सकता है.
मंकीपॉक्स वायरस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जानकारी, सावधानी और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है. अगर कोई लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और सतर्क रहें. जागरूकता और सावधानी ही सबसे अच्छा बचाव है.
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