Low Bone Density : महिलाओं में लो बोन डेंसिटी की समस्या काफी आम पाई गई है. खास करके 30 की उम्र के बाद महिलाओं को यह समस्या ज्यादा होती है, जिसके परिणाम स्वरूप महिलाओं को जोड़ों में दर्द, थकावट और रोजमर्रा के काम करने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इन समस्याओं का सीधा ताल्लुक खान-पान से होता है लेकिन इसके और भी कई अन्य कारण होते हैं. महिलाओं में इन समस्याओं का आम पाए जाने का एक सबसे बड़ा कारण यह भी होता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की हड्डियां छोटी एवं कम घनत्व वाली होती हैं.
Low Bone Density :लो बोन डेंसिटी के प्रकार
नो बोन डेंसिटी की गंभीरता के अनुसार यह दो प्रकार की होती हैं, ओस्टियोपेनिया ( osteopenia ) और ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis). बोन डेंसिटी टेस्ट में हड्डियों का A T स्कोर 1 से 2.5 तक का होता है तो यह ओस्टियोपेनिया की स्थिति होती है इसमें पीड़ित व्यक्ति की बोन डेंसिटी सामान्य बोन डेंसिटी से कम होती है. अगर इसका समय रहते इलाज नहीं किया गया तो यह ऑस्टियोपोरोसिस में भी बदल सकती है.
जबकि हड्डियों का A Tस्कोर2.5 या इससे नीचे होता है तो यह ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति होती हैइसमेंपीड़ित महिला की बोन डेंसिटी सामान्य महिला की बोन डेंसिटी से बहुत ज्यादा नीचे होती है. बोन डेंसिटी जितनी कम होती है हड्डियों में फ्रैक्चर का खतरा उतना ही ज्यादा होता है.
Low Bone Density : ऑस्टियोपोरोसिस के रिस्क फैक्टर
मेनुपॉज
दरअसल मेनू पॉज के दौरानमहिला के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर काफी गिर जाता हैजिसके कारण हड्डियों का घनत्व कम हो जाता हैमेनू पॉज के बाद लगभग महिलाएं 5 वर्षों में अपनी हड्डियों का 10% कैल्शियम तक को देती है.
दवाएं
कुछ दवाओं के ज्यादा समय तक उपयोग करने से हड्डियों को हानि पहुंचती है और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है. ऐसी कुछ दवाईयां है ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स,कैंसर की दवाई, एंटीपिलेप्टिक दवाई, प्रोटॉन पंप अवरोध दवाई, सेरोटोनिन रीअपटेक अवरोधक और थिआजोलीडाइनडायनास.
पारिवारिक इतिहास
अन्य जोखिम कारकों में शामिल है पारिवारिक इतिहास में ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर.कैल्शियम, विटामिन डी, पोटैशियम या प्रोटीन की शरीर में कमी तथा हड्डियों मेंकम घनत्व.
Low Bone Density : कैसे करें ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम?
- ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने के लिए महिलाओं को कैल्शियम, विटामिन डी, पोटेशियम और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए और 30 की आयु के बाद फास्ट फूड या तले भुने खाद्य पदार्थों का सेवन कम कर देना चाहिए.
- नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए और हफ्ते में तीन या चार दिन वजन उठाने वाले और प्रतिरोध वाले कसरत करने चाहिए.
- शराब, कॉफी और धूम्रपान का सेवन कम कर देना चाहिए या हो सके तो बंद कर देना चाहिए.