Monday, November 18, 2024
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भगवान विष्णु को जब नारद मुनि ने दिया श्राप, जिससे दर-दर भटके भगवान, पढ़ें रोचक कथा

एक बार ऋषि नारद जी ने घोर तपस्या की और उन्हें घमंड हो गया कि उन्होंने विषय विकारों पर विजय प्राप्त कर ली है. तपस्या पूरी करने के बाद वह अपने पिता भगवान ब्रह्मा से मिलने गए और उन्हें अपने उसी विश्वास से अवगत कराया. भगवान ब्रह्मा ने नारद जी से भगवान विष्णु जी से इस बारे में चर्चा नहीं करने के लिए आग्रह किया. चूँकि नारद मुनि अति आत्मविश्वास और उत्साह में थे, इसलिए उन्होंने अपने पिता द्वारा दी गई चेतावनी के बावजूद विष्णु जी के साथ वह बात साझा करने की सोची अर्थात पिता की बात नहीं मानी. नारद मुनि अपने चाचा विष्णु जी से मिलने गए और शेखी बखारने लगे कि उन्होंने वासना पर विजय प्राप्त कर ली है और वे आजीवन तपस्वी का जीवन व्यतीत करेंगे.

भगवान विष्णु का रूप मनमोहक
नारद जी ने विष्णु जी को याद किया और उनसे उनका “हरि रूप” उन्हें प्रदान करने के लिए इच्छा ज़ाहिर की (संस्कृत में हरि का अर्थ बंदर होता है). भगवान विष्णु ने चतुराई से ‘तथास्तु’ कहकर सहमति दी और नारद जी का चेहरा वानर की तरह परिवर्तित हो गया, जिससे नारद जी अंजान थे. ‘स्वयंवर’ का समय आ गया और राजकुमारी ने शाही दरबार में प्रवेश किया.

नारद जी कतार में खड़े थे और राजकुमारी की प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह उन्हें माला पहनाए, वह पास आई. ऋषि नारद को देख कर भी अनदेखा कर आगे की ओर चली गई. नारद मुनी चौंक गए- ‘राजकुमारी ने उनकी उपेक्षा क्यों की?’ दूसरा मौका देते हुए, नारद मुनि एक और पंक्ति में आगे बढ़े, जहां राजकुमारी को अगले पल पहुँचना था. दूसरी बार भी राजकुमारी ने नारद जी को नज़रअंदाज़ कर दिया, तब उनके पास खड़े किसी व्यक्ति ने नारद जी के बंदर रूप का मज़ाक उड़ाया, जिससे नारद मुनी नाराज़ हो गए.

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नारद मुनि का भगवान विष्णु को श्राप
उग्र नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दिया, “तुम अपनी पत्नी के वियोग में एक पूरा मानव जीवन व्यतीत करोगे और मेरी ही भांति वियोग का दर्द झेलोगे और बंदर जैसे मुख वाले प्राणी तुम्हारी मदद करेंगे”
उसके बाद ही भगवान विष्णु अपने राम अवतार में पत्नि सीता की खोज में दर-दर भटके और सीता को खोजने में सुग्रीव और हनुमान जी की वानर सेना ने ही उनका सहयोग किया था.

Tags: Dharma Aastha, Lord Ram, Lord vishnu, Ramayan


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