Tuesday, December 17, 2024
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भगवान विष्णु का पहला अवतार कौन सा है? जल प्रलय से बचाने के लिए बने तारणहार, पढ़ें पौराणिक कथा

Bhagwan vishnu ka pehla avatar: जब-जब पृथ्वी पर कोई गंभीर संकट होता है तब-तब भगवान श्री विष्णु पृथ्वी को बचाने के लिये किसी न किसी रूप में अवतरित होकर आम जनमानस और इस संसार का कल्याण करते हैं. भगवान विष्णु ने सबसे पहला अवतार मत्स्य (मछली) के रूप में लिया था, आइये इस बारे में विस्तार में जानते हैं.

इस तिथि में हुआ था पहला अवतार
प्रभू ने पहला अवतार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मछली के रूप में लिया था.भागवत पुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें भगवान श्री हरि विष्णु मछली के रूप में अवतरित हुए थे.

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इस दैत्य का वध कर वेदों की रक्षा की थी भगवान विष्णु ने
उन्होंने दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की थी. हयग्रीव ने वेदों को समुद्र की गहराई में छिपा दिया था. इस तरह से मत्स्य अवतार में प्रकट होकर भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा की.एक दूसरी मान्यता के अनुसार मछली के रूप में अवतार लेकर भगवान विष्णु ने एक ऋषि को सब प्रकार के जीव-जंतु एकत्रित करने के लिए कहा और पृथ्वी जब जल में डूब रही थी तब मत्स्य अवतार में भगवान ने उस ऋषि की नाव की रक्षा की, इसके पश्चात ब्रह्मा ने पुन: जीवन का निर्माण किया.

श्री विष्णु  हैं इस श्रष्टि के पालनहार
इस अवतार में भगवान विष्णु ने जल प्रलय से संसार को बचाया था. यह अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार था.जब संसार में किसी तरह का गंभीर संकट होता है तो श्री हरि अवतार लेकर संसार का कल्याण करते हैं, श्री हरि विष्णु को ही इस श्रष्टि का पालनहार माना जाता है.इस संसार सागर में सभी ग्रह नक्षत्र, देवता, पितृ, राशियाँ, पेड़ -पौधे,इंसान, पशु और पक्षी सभी भगवान विष्णु के ही अधीन होते हैं.भगवान विष्णु का यह अवतार सतयुग में हयग्रीव नामक राक्षस के बध करने हेतु हुआ था, भगवान विष्णु के इस अवतार को मत्स्य नारायण, हयग्रीव अरी, वेदरक्षक, मनुकल्प, मकरनारायण, मीन नारायण आदि नामों से भी जाना जाता है.

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समय आने पर मत्स्यरूपधारी भगवान विष्णु ने राजा सत्यव्रत को तत्वज्ञान का उपदेश दिया, जो मत्स्यपुराण नाम से प्रसिद्ध है. मत्स्य पुराण का संबंध भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से है. मान्यता है कि मत्स्य पुराण को सुनने या पढ़ने से भगवान विष्णु की कृपा से कीर्ति और आयु में वृद्धि होती और व्यक्ति के सभी तीन प्रकार (कायिक, वाचिक, मानसिक) पाप नष्ट होते हैं, मत्स्य पुराण में 14 हजार श्लोक और 291 अध्याय है.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Religion


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