Saturday, December 14, 2024
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विघ्नहर्ता की पूजा में अथर्वशीर्ष का करें पाठ, प्रथम पूजनीय दूर कर देंगे सभी बाधाएं, जानें पाठ करने का तरीका

Ganesh Atharvashirsha Path: हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है. इसीलिए विघ्नहर्ता को प्रथम पूजनीय कहा गया है. मान्यता है कि भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होकर उनके दुखों को हरते हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. दरअसल, भगवान गणेश खुद रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता हैं. वह भक्‍तों की बाधा, सकंट, रोग-दोष तथा दरिद्रता को दूर करते हैं. माना जाता है कि गणपति की पूजा के दौरान गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करना बहुत ही फलदायी माना गया है. आइए पढ़ें अथ श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तुति.

।।अथ श्री गणपति अथर्वशीर्ष स्तुति।।

ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।।
त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।
त्वमेव केवलं धर्तासि।।
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।।
त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।
ऋतं वच्मि।। सत्यं वच्मि।।
अव त्वं मां।। अव वक्तारं।।
अव श्रोतारं। अवदातारं।।
अव धातारम अवानूचानमवशिष्यं।।
अव पश्चातात्।। अवं पुरस्तात्।।
अवोत्तरातात्।। अव दक्षिणात्तात्।।
अव चोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात।।
सर्वतो मां पाहिपाहि समंतात्।।
त्वं वाङग्मयचस्त्वं चिन्मय।
त्वं वाङग्मयचस्त्वं ब्रह्ममय:।।
त्वं सच्चिदानंदा द्वितियोऽसि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।
सर्व जगदि‍दं त्वत्तो जायते।
सर्व जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्व जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।।
सर्व जगदिदं त्वयि प्रत्येति।।
त्वं भूमिरापोनलोऽनिलो नभ:।।
त्वं चत्वारिवाक्पदानी।।
त्वं गुणयत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत: त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मूलाधार स्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्ति त्रयात्मक:।।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यम्।
त्वं शक्तित्रयात्मक:।।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं रुद्रस्त्वं इन्द्रस्त्वं अग्निस्त्वं।
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं ब्रह्मभूर्भुव: स्वरोम्।।
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।।
अनुस्वार: परतर:।। अर्धेन्दुलसितं।।
तारेण ऋद्धं।। एतत्तव मनुस्वरूपं।।
गकार: पूर्व रूपं अकारो मध्यरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्य रूपं।। बिन्दुरूत्तर रूपं।।
नाद: संधानं।। संहिता संधि: सैषा गणेश विद्या।।
गणक ऋषि: निचृद्रायत्रीछंद:।। ग‍णपति देवता।।
ॐ गं गणपतये नम:।।

अथर्वशीर्ष का पाठ करने का तरीका

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, भगवान गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत हो जाएं. इसके साथ ही कुशा का आसन बिछाकर उसपर बैठें. मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को मोदक और दुर्वा अति प्रिय है ऐसे में आप इसे अपनी पूजा में जरूर शामिल करें. कहा जाता हैं कि अगर इसका पाठ बप्पा कि किसी खास तिथी पर किया जाए तो यह बेहद फलदायी होता है.

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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord ganapati


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