Life Insurance: आज के समय में जीवन बीमा बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. कोरोना महामारी (Corona pandemic) के बाद लोगों को इसकी अहमियत और भी अच्छी तरह समझ में आई है. जहां लोग बीमारियों के इलाज के लिए हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेते हैं, वहीं अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जीवन बीमा या फिर हेल्थ बीमा के टर्म प्लान का चयन करते हैं. हालांकि टर्म प्लान लेते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आज हम इसके फायदों की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन कारणों पर चर्चा करेंगे जिनकी वजह से जीवन बीमा या फिर हेल्थ बीमा के क्लेम मिलने में कठिनाई हो सकती है. इसलिए जीवन बीमा के टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हर प्रकार की मृत्यु पर कवर नहीं देता.
इसे भी पढ़ें: Bizarre News: केवल € 500 में शादी तुड़वाता है ये आदमी, दिसंबर तक बुकिंग हुई फुल
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि टर्म इंश्योरेंस क्या होता है और इसकी आवश्यकता क्यों है. असल में, टर्म इंश्योरेंस ही सही मायनों में जीवन बीमा पॉलिसी (Life Insurance Policy) होती है, जो पॉलिसी धारक के निधन पर उसके परिवार को पैसों की समस्याओं से बचाने में मदद करती है. यदि पॉलिसी की अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती है, तो नॉमिनी को पूरी डेथ कवर राशि मिल जाती है. विशेषज्ञ भी परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त कवर के साथ टर्म प्लान लेने की सलाह देते हैं.
इसे भी पढ़ें: रेलवे इन रूट्स पर चलाएगी कई स्पेशल फेस्टिवल ट्रेन, फटाफट देखें लिस्ट
यदि आप जीवन बीमा टर्म प्लान (Life insurance term plan) लेने का विचार कर रहे हैं, तो इसे लेने से पहले पॉलिसी से जुड़े हर नियम और शर्त को समझना बेहद जरूरी है. जैसा कि पहले बताया गया, टर्म प्लान हर प्रकार की मृत्यु पर कवर नहीं देता है. पॉलिसीधारक के निधन पर उसके परिवार को क्लेम की राशि तभी मिलती है जब मृत्यु उन कारणों से हुई हो, जो पॉलिसी में शामिल हैं. यदि मृत्यु किसी ऐसे कारण से होती है, जो पॉलिसी में कवर नहीं है, तो बीमा कंपनी (Insurance Company) क्लेम देने से इंकार यानी मना कर सकती है. टर्म इंश्योरेंस के तहत प्राकृतिक मृत्यु (Natural death) स्वास्थ्य समस्याओं के कारण या दुर्घटना से हुई मृत्यु पर ही बीमा कंपनी क्लेम देती है. आइए जानते हैं कि किन 6 प्रमुख कारणों से कवर नहीं दिया जाता.
जीवन बीमा रिजेक्ट होने का पहला कारण (first reason for life insurance rejection)
टर्म प्लान (Term Plan) के तहत पॉलिसीधारक को एक्सीडेंटल डेथ कवर मिलता है, लेकिन यदि पॉलिसीधारक की मौत किसी नशे की हालत में ड्राइविंग (Drink And Drive) करते हुए होती है, तो इस स्थिति में यह कवर मान्य नहीं होता.
जीवन बीमा रिजेक्ट होने का दूसरा कारण (second reason for life insurance rejection)
यदि पॉलिसीधारक को नशे (intoxication) या किसी अन्य ड्रग्स (Drugs) की लत होती है और उसकी मृत्यु इसी कारण से होती है, तो बीमा कंपनी टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से मना कर सकती है. चाहे वह व्यक्ति ड्रग्स या शराब के ओवरडोज से मरा हो या नशे की हालत में वाहन चलाते समय उसकी मृत्यु हुई हो, इन परिस्थितियों में क्लेम नहीं मिलता.
इसे भी पढ़ें: Men Marry Twice: भारत का अनोखा गांव, जहां हर मर्द की दो पत्नियां, जानिए लोग क्यों करते हैं दो शादियां
जीवन बीमा रिजेक्ट होने का तीसरा कारण (third reason for life insurance rejection)
यदि टर्म प्लान लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु किसी खतरनाक खेल या स्टंट के कारण होती है, तो बीमा कंपनी क्लेम की राशि देने से इनकार कर सकती है. इसमें कार या बाइक रेसिंग(Bike Racing), स्काई डाइविंग(Skydiving), स्कूबा डाइविंग, पैरा ग्लाइडिंग (Paragliding) और बंजी जंपिंग जैसे जोखिमपूर्ण खेल शामिल हैं. यानी, अगर पॉलिसीधारक एडवेंचर गेम्स का शौकीन है और किसी खतरनाक गतिविधि के दौरान उसकी मौत हो जाती है, तो टर्म प्लान का क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा.
जीवन बीमा रिजेक्ट होने का चौथा कारण (Fourth reason for life insurance rejection)
टर्म प्लान खरीदते समय पॉलिसीधारक को नॉमिनी नामित करना होता है, जिसे उसकी मृत्यु के बाद कवर की पूरी राशि मिलती है. यदि पॉलिसी अवधि के दौरान पॉलिसीधारक की हत्या हो जाती है और पुलिस जांच में नॉमिनी की संलिप्तता साबित होती है, या नॉमिनी पर हत्या का आरोप सिद्ध हो जाता है, तो बीमा कंपनी क्लेम की प्रक्रिया को तब तक रोक देती है, जब तक नॉमिनी को निर्दोष नहीं ठहराया जाता.
इसे भी पढ़ें: Video Viral: ऑनलाइन क्लास में छात्र ने टीचर को किया प्रपोज, कहा- मैडम मैं आपसे करता हूं प्यार, क्या आप मुझसे शादी करोगी?
जीवन बीमा रिजेक्ट होने का पांचवा कारण (fifth reason for life insurance rejection)
यदि आप टर्म पॉलिसी ले रहे हैं, तो आपको अपनी सभी जानकारी बीमा कंपनी को सही-सही बतानी चाहिए और किसी भी गंभीर बीमारी के बारे में छिपाना नहीं चाहिए. आमतौर पर लोग किसी बीमारी की जानकारी साझा करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि इससे उनका प्रीमियम बढ़ जाएगा या पॉलिसी लेने में कठिनाई आएगी. लेकिन यह गलती भारी पड़ सकती है. यदि पॉलिसी लेने से पहले पॉलिसीधारक को कोई गंभीर बीमारी है और उसने इसकी जानकारी बीमा कंपनी को नहीं दी, तो उस बीमारी से हुई मृत्यु की स्थिति में बीमा कंपनी क्लेम को अस्वीकार कर सकती है. इसके अलावा, एचआईवी/एड्स से हुई मृत्यु के मामलों में भी टर्म प्लान में कवर देने का प्रावधान नहीं होता है.
जीवन बीमा रिजेक्ट होने का छठा कारण (Sixth reason for life insurance rejection)
टर्म प्लान के अंतर्गत यदि किसी पॉलिसीधारक की मृत्यु किसी प्राकृतिक आपदा के कारण होती है, तो बीमा कंपनियां नॉमिनी को क्लेम की राशि नहीं देती हैं. इन प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप(Earthquakes), तूफान(storms), भूस्खलन (landslides) और अन्य समान घटनाएं शामिल होती हैं. बीमा कंपनियां पॉलिसी जारी करते समय स्पष्ट रूप से बताती हैं कि पृथ्वी की हलचल (जैसे भूकंप) से होने वाली किसी भी प्रकार की क्षति को पॉलिसी में कवर नहीं किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें: लाड़ली बहना योजना के बाद MP सरकार की एक और सौगात, मालामाल बना देगी ये स्किम