Friday, December 13, 2024
HomeReligionशादी के लिए कुंडली के 36 के 36 गुणों का मिलना शुभ...

शादी के लिए कुंडली के 36 के 36 गुणों का मिलना शुभ या अशुभ, कितने गुणों के आधार पर तय होता है विवाह, जानें क्या कहते हैं पंडित जी

हाइलाइट्स

विवाह के लिए सबसे पहले कुंडली मिलान को महत्व दिया गया है.कुंडली में टोटल 36 गुणों में से ही मिलान होता है.

Kundali Milan in Hindu Marriage : हिन्दू धर्म में जब किसी युवक या युवती के विवाह की बात शुरू होती है तो सबसे पहले उसमें कुंडली मिलान को ही महत्व दिया गया है. ऐसी मान्यता है कि यदि लड़का-लड़की की कुंडली मिल गईं तो उनका जीवन सुखमय तरीके से बीतेगा और भविष्य उज्वल होगा. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में टोटल 36 गुणों में से ही मिलान होता है, ऐसे में कई लोगों के मन में यह विचार भी आता है कि यदि 36 में से 36 गुण ही मिल जाएं तो क्या यह सबसे शुभ विवाह बन सकता है? भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने इस बारे में विस्तार से बताया है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

कुंडली में कितने गुण
पंडित जी के अनुसार कुंडली में कुल 36 गुण होते हैं, लेकिन वास्तव में 8 गुण देखे जाते हैं जिसमें से हर एक गुण का अपना अलग अंक होता है. इसी के आधार पर यह तय होता है कि कितने गुण मिले हैं. इनमें वर्ण का अंक 1, वश्य का अंक 2, तारा का अंक 3, योनि का अंक 4 के अलावा ग्रह मैत्री के 5 अंक, गण 6 अंक, भकूट 7 अंक, नाड़ी का 8 अंक है. इन सभी को मिलकाकर ही कुल 36 गुण बनते हैं.

यह भी पढ़ें – मान-सम्मान में है कमी या पिता से अक्सर होती है अनबन? कुंडली में कमजोर है यह ग्रह, पहचानें इसके संकेत

शुभ विवाह के लिए कितने गुण मिलना जरूरी
विवाह के लिए कुछ अंक निर्धारित किए गए हैं यानी कि जरूरी नहीं कि लड़का-लड़की के 36-36 तक गुण का मिलान ही हो. इसके तहत यदि किसी लड़का या लड़की के 18 से कम गुण मिलते हैं तो इसे शुभ विवाह के लिए ठीक नहीं माना जाता. वहीं 18 से 25 गुण मिलने को अच्छा माना गया है. जबकि, 25 से 32 अंक मिलान को सर्वोत्तम और 32 से 36 गुण को सबसे सफल माना गया है.

यह भी पढ़ें – अभी-अभी हुई है आपकी शादी? इस दिशा में न बनाएं नवविवाहित जोड़ों का कमरा, जानें वास्तु के नियम

36 गुणों से सफल होती है शादी?
ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ गुणों के मिलान से ही आपकी शादी सफल हो जाए. इसके अलावा अन्य कई चीजों का भी महत्व होता है. किसी युवक या सुवती की कुंडली के 1, 4, 7, 8, और 12 भाव में मंगल की दशा या फिर महादशा होने की स्थिति में उसी के अनुसार कुंडली मिलान किया जाता है. इसके बाद ही विवाह का मुहूर्त निकलवाया जा सकता है, नहीं तो विवाह पूरे गुण मिलने पर भी शुभ नहीं माना जाता.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion, Wedding Function


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular