Thursday, November 21, 2024
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Ketu Gochar 2025: अगले साल केतु के गोचर से इन राशियों की पलटेगी किस्मत, होंगे बड़े बदलाव

Ketu Gochar 2025: नव ग्रह में केतु एक ग्रह है यह राहु की तरह केतु भी छाया ग्रह कहलाते है जैसे राहु का प्रभाव होता है वैसे ही केतु अपना फल देते है.केतु का वाहन कबूतर है केतु धूर्म वर्ण के है.

केतु ग्रह अनुकूल नहीं होने पर राहू की तरह से परेशानी देते है.इसे संपत ग्रह भी कहा जाता है जन्मकुंडली में मंगल की तरह फल देते है यह जिस भाव में बैठते है उसी अनुसार फल देते है केतु अगर अनुकूल होने पर व्यक्ति को राज योग प्रदान करता है, केतु अगर अनुकूल हो व्यक्ति अध्यात्मिक प्रवृति वाला होता है तथा दूसरे का पहचान करने में इनका अहम भूमिका होता है.

वर्तमान में केतु कन्या राशि मे में बैठे है और यह 18 मई 2025 तक कन्या राशि में विराजमान रहेगें. केतू लगभग 18 महीना एक राशि में गोचर करते है,राहु केतु को वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह की प्रधानता दिया हुआ है लेकिन इसका प्रभाव जन्मकुंडली में देखा जाता है केतु कौन सा भाव में है उसी अनुसार इसका फल प्राप्त होता है. वैदिक ज्योतिष में इनका कोई राशि नहीं है,कोई स्थान नहीं है जिस भाव में बैठते है उसी अनुसार फल देते है केतु मंगल की राशि वृश्चिक और धनु राशि में केतु विराजमान होने से उच्च का माना जाता है.केतु एक अनुभवी ग्रह है यह मित्रता दिलवाता है. केतु के कारण अच्छा सर्जन बनते है.

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साल 2025 में केतु सिंह राशि में गोचर करेगे इनके गोचर से कई राशि को लाभ होगा. वही कई राशि को नुकसान होगा. 18 मई 2025 समय संध्या 04 बजकर 45 मिनट पर सिंह राशि में गोचर करेगे. सिंह राशि के स्वामी सूर्य होते है सूर्य के राशि में केतु जैसे पाप ग्रह का गोचर करना अनुकूल नहीं होता है सिंह राशि में केतु के गोचर से मेष, कन्या, वृश्चिक, मकर, को सतर्क रहना पड़ेगा. साल 2025 इन राशि के लिए केतु इन राशि के लिए कुछ मामले में फायदेमंद तथा कुछ विषय पर स्थति गंभीर बना रहेगा .

इन राशि के लोग सचेत रहें

मेष राशि में केतु पांचवे भाव में विराजमान होंगे, कन्या राशि को द्वादश भाव में केतु गोचर करेगें, वृश्चिक राशि में दसवें भाव में गोचर करेगें, मकर राशि में आठवें भाव में गोचर करेगें.

केतु के अनुकूल होने से फायदा

जन्मकुंडली में केतु का अनुकूल होना बहुत जरुरी होता है यह राहु से थोड़ी अलग फल देते है केतु जन्मकुंडली में पहला भाव, चौथा भाव ,सातवा भाव या दशम भाव में केतु के रहने से बहुत शुभ फल तथा लाभकारी परिणाम देता है. जन्मकुंडली में केतु के उपर मित्र ग्रह की दृष्टी बनती है तब माता पिता से सुख प्राप्त होता है.अच्छे मित्र बनते है समाज में मान -सम्मान पद प्रतिष्ठा का लाभ मिलता है.जीवन में समस्त सुख प्राप्त होता है.

जन्म कुंडली में अशुभ केतु का स्थान

जन्मकुंडली में केतु द्वादश भाव में हो या लगन भाव में हो और 01 ,04 ,05 ,06 07 ,10 ,11 ,12 राशि का हो व्यक्ति सदैव मानसिक तनाव में रहता है हमेशा अनिष्ट आशंका बनी रहती है उच्य शिक्षा में रुकावट. व्योपार ठीक नहीं चलता है. नौकरी में परेशानी होती है .व्यक्ति हमेशा असंतुष्ठ रहते है, हमेशा आर्थिक तंगी बना रहता है, जीवन में कई तरह से परेशानी बनी रहती है माता पिता को मृत्यु तुल्य कष्ट मिलता है .

केतु सम्बंधित बीमारी

जन्मकुंडली में केतु कमजोर होने पर व्यक्ति के जीवन में कई तरह से परेशानी देते है.जैसे हड्डी सम्बंधित समस्या ,पैरो में दर्द मूत्र रोग, जोड़ो में दर्द होना, कान से सम्बंधित समस्या ,गुप्तांग में समस्या ,स्वप्नदोष ,कुता काटना,आकस्मिक बीमार होना केतु के कारण होता है .

उपाय

केतु को अनुकूल बनाने के लिए कम्बल का दान करे, मंगलवार को सफेद तील का दान करे,लहसुनिया रत्न धारण करे, गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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