Tuesday, November 19, 2024
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Pandit Pradeep Mishra: आसान नहीं था रघुराम से ‘सीहोर वाले बाबा’ बनाने का सफर, शिवपुराण में लगा दिया जीवन, आज लाखों में है फैन फालोइंग

Pandit Pradeep Mishra: शिवपुराण का जिक्र हो और पंडित प्रदीप मिश्रा का नाम न आए भला ये कैसे हो सकता है. जी हां, ये वो नाम है जिसके जीवन में कठिनाइयां और संघर्ष की दास्ताएं भरी पड़ी हैं. कभी गली मोहल्ले में रघुराम नाम से जाना जाने वाला व्यक्तित्व आज देशभर में ‘सीहोर वाले बाबा’ और पंडित प्रदीप मिश्रा के नाम से जाना जाता है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथा के माध्यम लोगों को आध्यात्म की ओर आकर्षित किया है. इसके चलते आज सोशल मीडिया पर उनकी फैन फॉलोइंग की फेहरित लाखों में हैं. लोगों की डिमांड को देखते हुए एक टीवी चैनल पर उनका प्रोग्राम भी प्रसारित किया जा रहा है. आइए जानते हैं पंडित प्रदीप मिश्रा से जुड़ी कई और अनसुनी रोचक बातें-

कथावाचकों की फेहरिस्त में पंडित प्रदीप मिश्रा एक बड़ा नाम है. यही वजह है कि वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. 1980 में मध्य प्रदेश के (सीहोर जिला) चितावलिया हेमा गांव में जन्मे प्रदीप मिश्रा के बचपन का नाम रघुराम था. 44 वर्षीय प्रदीप मिश्रा का भरापूरा परिवार है. हालांकि, पिता के गुजर जाने के बाद अब माता, दो भाई, पत्नी और बच्चे हैं.

बचपन से ही भक्ति में हो गए थे लीन

पंडित मिश्रा बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन हो गए थे. यही वजह है कि स्कूल के दिनों में ही उन्होंने भजन-कीर्तन शुरू कर दिए थे. इसके बाद उनके अंदर उपजे आध्यात्म ने उन्हें कथा वाचक बनने के लिए प्रेरित किया. इसके लिए उन्होंने विठलेश राय काका जी को गुरू माना और दीक्षा लेकर पुराणों का ज्ञान प्राप्त किया.

जीवन में डटकर किया संघर्षों का सामना

पंडित प्रदीप मिश्रा का जीवन संघर्षों से भरा है. कहा जाता है कि, प्रदीप मिश्रा के पिता स्व. रामेश्वर मिश्रा कम शिक्षित होने से वह ठेला लगाकर चने बेचा करते थे. हालांकि, बाद में उन्होंने चाय की दुकान खोली, जिसमें प्रदीप मिश्रा उनका हाथ बटाते थे. आर्थिक तंगी का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपनी बहन की शादी बहुत ही मुश्किल से कर पाई थी.

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कथावाचक बनने का ऐसे शुरू किया सफर

बताया जाता है कि पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपने सफर की शुरुआत शिव मंदिर में कथा वाचन से की. वे वहीं, शिव मंदिर की सफाई करते थे. इसके बाद उन्होंने सीहोर में पहली बार कथावाचक के रूप में मंच संभाला. पंडित प्रदीप मिश्रा कथा में कहते हैं- ‘एक लोटा जल समस्या का हल’. यही बात लोगों के मन में बैठ गई. इसके बाद लोगों ने उन्हें सुनना शुरू किया.

Tags: Dharma Aastha, Dharma Guru, Religion


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