Sunday, November 17, 2024
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Karwa Chauth 2024 Date: कब मनाया जाएगा करवा चौथ, जानें तारीख

Karwa Chauth 2024 Date: भारत में त्योहारों और धार्मिक मान्यताओं की समृद्ध परंपरा है और करवा चौथ उनमें से एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे खासतौर से उत्तर और पश्चिमी भारत की महिलाएं मनाती हैं. इस शुभ दिन पर महिलाएं अपने पति या भविष्य के जीवनसाथी की लंबी उम्र, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं.

करवा चौथ 2024 की तारीख और महत्व

करवा चौथ 2024 में यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है, जो पूर्णिमा के चौथे दिन होता है। इस दिन को ‘करक चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें ‘करवा’ एक विशेष मिट्टी के बर्तन को कहते हैं जिसका उपयोग चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए किया जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत समाप्त करती हैं.

करवा चौथ का कठिन व्रत और उसका सांस्कृतिक महत्व

करवा चौथ का व्रत काफी कठोर होता है, जिसमें महिलाएं सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रमा दिखने तक पानी और भोजन का त्याग करती हैं. यह व्रत न सिर्फ भक्ति का प्रतीक है बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है, खासकर उन इलाकों में जहां गेहूं की खेती होती है. कई जगहों पर मिट्टी के बर्तनों को ‘करवा’ कहा जाता है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह व्रत एक अच्छी फसल की कामना से जुड़ा हो सकता है. खासतौर पर उत्तर-पश्चिमी राज्यों में जहां गेहूं प्रमुख फसल है, वहां यह प्रथा अधिक प्रचलित है.

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करवा चौथ 2024 पूजा और चंद्रोदय का समय

करवा चौथ के पूजा विधि और समय क्षेत्रीय भिन्नताओं के साथ बदल सकते हैं. यहां कुछ प्रमुख शहरों के लिए पूजा और चंद्रोदय का समय दिया गया है:

दिल्ली एनसीआर

तारीख: 20 अक्टूबर 2024 (रविवार)
पूजा मुहूर्त: 05:46 PM से 07:02 PM (1 घंटा 16 मिनट)
व्रत समय: 06:25 AM से 07:54 PM (13 घंटे 29 मिनट)
चंद्रोदय: 07:54 PM

मुंबई, महाराष्ट्र

पूजा मुहूर्त: 06:12 PM से 07:26 PM (1 घंटा 14 मिनट)
व्रत समय: 06:34 AM से 08:37 PM (14 घंटे 02 मिनट)
चंद्रोदय: 08:37 PM

बेंगलुरु, कर्नाटक

पूजा मुहूर्त: 05:58 PM से 07:11 PM (1 घंटा 13 मिनट)
व्रत समय: 06:11 AM से 08:31 PM (14 घंटे 21 मिनट)
चंद्रोदय: 08:31 PM

इस शुभ पर्व पर महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखकर चंद्रमा का इंतजार करती हैं, और चंद्र दर्शन के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं. यह पर्व न सिर्फ प्रेम और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से भी जुड़ा हुआ है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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