Thursday, November 14, 2024
HomeReligionKartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर बनेगा शश राजयोग, स्नान और दान...

Kartik Purnima 2024: कार्तिक पूर्णिमा पर बनेगा शश राजयोग, स्नान और दान का है विशेष महत्व

Kartik Purnima 2024: कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का अत्यधिक महत्व है. प्रत्येक महीने की पूर्णिमा का अपना विशेष स्थान होता है, किंतु कार्तिक मास की पूर्णिमा का महत्व अद्वितीय है. इस दिन देव दीपावली का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन स्नान और दान करने से जीवन में समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है. साथ ही, यह दिन सुख और शांति का भी प्रतीक है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे दान-पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है. आइए, कार्तिक मास के महत्व को समझते हैं.

कार्तिक पूर्णिमा कब है?

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:20 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 15 नवंबर की मध्यरात्रि 2:59 बजे होगा. इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 15 तारीख, शुक्रवार को आयोजित किया जाएगा.

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दीपदान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पवित्र नदी में स्नान और दीपदान का अत्यधिक महत्व होता है. यह माना जाता है कि इस दिन उचित समय पर नदी में स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है. इसके साथ ही, इस पवित्र दिन पर जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा भी है.

कार्तिक पूर्णिमा पर बनने वाले शुभ योग

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा और मंगल का राशि परिवर्तन एक विशेष योग का निर्माण करेगा, जिसमें दोनों ग्रह एक-दूसरे की राशि में स्थित रहेंगे. इस दिन रात के समय गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा. इसके अतिरिक्त, बुधादित्य राजयोग भी इस दिन बनेगा. विशेष रूप से, 30 वर्षों के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का निर्माण हो रहा है, क्योंकि अगले 30 वर्षों तक शनि कुंभ राशि में गोचर नहीं करेंगे. इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए उपाय और दान पुण्य के कार्यों का फल 100 गुना अधिक प्राप्त होगा.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है. मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का संहार किया था. इसी कारण इस पूर्णिमा को त्रिपुरासुर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को विशेष रूप से देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में जल में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन जल में दीप जलाने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular