Thursday, December 19, 2024
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निर्जला एकादशी : एक साथ तीन योगों का संयोग, विष्णु के साथ करें शिव की पूजा

करौली. मंगलवार यानि 18 जून को निर्जला एकादशी है. इस दिन के व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता है. कहते हैं ये एक व्रत करने से सालभर की एकादशी का पुण्य मिल जाता है. सेहत और लंबी उम्र के लिए भी इस व्रत का महत्व है.

सालभर की सभी एकादशियों के बराबर अपना महत्त्व रखने वाली निर्जला एकादशी का व्रत इस बार 18 जून को रखा जाएगा. सनातन संस्कृति का यह सबसे खास व्रत भगवान विष्णु की साधना के लिए समर्पित है. इस बार की निर्जला एकादशी पर कुछ विशेष संयोग सालों बाद बन रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 18 जून मंगलवार को रखा जाने वाला निर्जला एकादशी का व्रत इस बार तीन योगों के साथ मनाया जाएगा.

सालभर का फल एक दिन में
वैसे तो निर्जला एकादशी का व्रत अपने आप में बहुत ही ज्यादा फलदाई है. इस बार तीन योगों के साथ मनाए जाने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है. पंडित धीरज शास्त्री बताते हैं इस बार निर्जला एकादशी मंगलवार के दिन है. मंगलवार के दिन ही शिव योग, पुष्कर योग और ध्वज योग का भी निर्माण हो रहा है. इन तीन योगों का भी इसी दिन निर्माण होने के कारण आप इस बार की निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की भी पूजा कर सकते हैं. भगवान शिव की पूजा करने से निर्जला एकादशी का फल अनंत गुणा होने वाला है.

निर्जला एकादशी का महत्व
पंडित धीरज शास्त्री बताते हैं निर्जला एकादशी का सबसे बड़ा महत्व ये है कि कहते हैं एक ही एकादशी का फल सालभर की 24 एकादशियों के बराबर है. इसका व्रत एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक अन्न – जल के बिना किया जाता है. इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है. शास्त्री बताते हैं हर साल यह व्रत ज्येष्ठ यानि गर्मी के मौसम में आता है और यह व्रत हिंदू धर्म के एक कठोर व्रत में से एक है. हिंदू धर्म का यह एकमात्र ऐसा व्रत है जिसमें साधक को संयम का पालन करना पड़ता है.

भीमसेन और देव एकादशी
शास्त्री का कहना है बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह व्रत जरूरी नहीं. लेकिन जो इस व्रत को रख सकते हैं उन्हें यह जरूर रखना चाहिएइसका फल सालभर की 24 एकादशी के पुण्य के बराबर होता है. इसे भीमसेन और देव एकादशी भी कहते हैं. यह एकादशी इतनी फलदाई है कि देवताओं ने भी इसका व्रत किया है.

स्वास्थ्य, लंबी आयु और मोक्ष की प्राप्ति
पंडित धीरज शास्त्री बताते हैं इस व्रत को करने से न केवल सालभर की सभी एकादशियों का फल मिलता है. बल्कि इससे साधक को उत्तम स्वास्थ्य, लंबी आयु और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.

(Disclaimer: चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, फेंगशुई आदि विषयों पर आलेख अथवा वीडियो समाचार सिर्फ पाठकों/दर्शकों की जानकारी के लिए है. इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है. हमारा उद्देश्य पाठकों/दर्शकों तक महज सूचना पहुंचाना है. इसके अलावा, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी. Local 18 इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है.)

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