शारदीय नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी आज 10 अक्टूबर गुरुवार को मनाई जा रही है और महा नवमी 11 अक्टूबर शुक्रवार को होगी. हालांकि कई स्थानों पर दुर्गा अष्टमी और महा नवमी एक ही दिन 11 अक्टूबर शुक्रवार को मनाई जाएगी. अलग-अलग पंचांगों में तिथियों के समय में भिन्नता होने के कारण ऐसा हो रहा है. दुर्गा अष्टमी और महा नवमी के दिन कन्या पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि कन्या को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. कन्या पूजा को कुमारी पूजा और कंजक पूजा भी कहते हैं. आपको भी कन्या पूजा करनी है तो आपको यह जनना चाहिए कि पूजा में किस उम्र की कन्याएं होनी चाहिए और उनकी संख्या कितनी हो? तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते है कन्या पूजा से मिलने वाले फायदे के बारे में.
कन्या पूजा के नियम
1. पूजा में कितनी हो कन्या की संख्या
नवरात्रि के 9 दिनों में आप सभी दिन कन्या पूजा कर सकते हैं. लेकिन समय की कमी के कारण लोग दुर्गा अष्टमी या महा नवमी के दिन ही कन्या पूजा करते हैं. पूजा में आप 1 से लेकर 9 की संख्या तक कन्याओं को शामिल कर सकते हैं. पूजा में जितनी कन्या होंगी, वैसा ही आपको फल प्राप्त होगा.
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2. किस उम्र की हों कन्या
कन्या पूजा में आप 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं को शामिल कर सकते हैं. हर उम्र की कन्या को अलग-अलग माता का स्वरुप माना जाता है.
संख्या अनुसार कन्या पूजा के फायदे
दुर्गा अष्टमी और महा नवमी को 1 कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, 2 कन्याओं की पूजा से भोग, 3 कन्याओं की पूजा से पुरुषार्थ, 4 से 5 कन्याओं की पूजा करने से बुद्धि और विद्या, 6 कन्याओं की पूजा से सफलता, 7 कन्याओं की पूजा से परमपद, 8 कन्याओं की पूजा से अष्टलक्ष्मी और 9 कन्याओं की पूजा से सभी ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं.
उम्र अनुसार कन्या पूजा के फायदे
नवरात्रि में 2 साल की कन्या की पूजा से धन-ऐश्वर्य, 3 साल की कन्या की पूजा से धन-धान्य, 4 साल की कन्या की पूजा से कल्याण, 5 साल की कन्या से रोगों से मुक्ति, 6 वर्ष की कन्या की पूजा से राजयोग, विद्या, विजय, 7 वर्ष की कन्या पूजन से ऐश्वर्य, 8 साल की कन्या पूजन से विवादो से मुक्ति, 9 वर्ष की कन्या पूजन से दुश्मनों पर जीत, और 10 वर्ष की कन्या की पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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उम्र अनुसार कन्याएं होती हैं इस देवी का स्वरूप
1. 2 साल की कन्या मां कुंआरी का स्वरूप होती हैं.
2. 3 वर्ष की कन्या देवी त्रिमूर्ति का स्वरूप माना जाता है.
3. 4 साल की कन्या देवी कल्याणी का स्वरूप होती हैं.
4. 5 वर्ष की कन्या देवी रोहिणी का रूप होती हैं.
5 6 वर्ष की कन्या को मां कालिका का स्वरूप माना जाता है.
6. 7 वर्ष की कन्या देवी चंडिका का स्वरूप हैं.
7. 8 वर्ष की कन्या को मां शांभवी का रूप माना जाता है.
8. 9 साल की कन्या को आदिशक्ति मां दुर्गा का रूप माना जाता है.
9. 10 वर्ष की कन्या को देवी सुभद्रा कहा जाता है, जो समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 08:40 IST