Thursday, December 19, 2024
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किस दिन है वट सावित्री व्रत? रोहिणी नक्षत्र, धृति योग में होगी पूजा, जानें मुहूर्त, पूजन सामग्री, महत्व

हाइलाइट्स

वट सावित्री व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:02 एएम से 04:42 एएम तक है.धृति योग प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 09 मिनट तक है.रोहिणी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर 08:16 पीएम तक है, उसके बाद से मृगशिरा नक्षत्र है.

वट सावित्री व्रत हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण माह की अमावस्या तिथि को रखते हैं. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं. इस साल वट सावित्री व्रत के दिन रोहिणी नक्षत्र और धृति योग बन रहा है. इस दिन विवाहित स्त्रियां वट वृक्ष, देवी सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि इस साल वट सावित्री व्रत कब है? वट सावित्री व्रत की पूजा का मुहूर्त, पूजा सामग्री और महत्व क्या है?

कब है वट सावित्री व्रत 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत के लिए आवश्यक ज्येष्ठ अमावस्या तिथि इस साल 05 जून को शाम 07 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी और य​ह तिथि 06 जून को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में व्रत के लिए उदयातिथि की मान्यता है, इस आधार पर वट सावित्री व्रत 6 जून दिन गुरुवार को रखा जाएगा.

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वट सावित्री व्रत 2024 मुहूर्त और योग
वट सावित्री व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक है. वहीं शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त 11:52 ए एम से 12:48 पी एम तक है. व्रत वाले दिन धृति योग प्रात:काल से लेकर रात 10 बजकर 09 मिनट तक है, उसके बाद शूल योग प्रारंभ होगा. वहीं रोहिणी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात 08:16 पी एम तक है, उसके बाद से मृगशिरा नक्षत्र है.

वट सावित्री व्रत 2024 पूजा की सामग्री
देवी सावित्री और सत्यवान की मूर्ति या फिर तस्वीर, वट सावित्री व्रत कथा और पूजा विधि की पुस्तक, रक्षा सूत्र, कच्चा सूत, बरगद का फल, बांस का बना पंखा, कुमकुम, सिंदूर, फल, फूल, रोली, चंदन, अक्षत्, दीपक, गंध, इत्र, धूप, सुहाग सामग्री, सवा मीटर कपड़ा, बताशा, पान, सुपारी, पूड़ी, गुड़, भींगा चना, मूंगफली, घर पर बनाए पकवान, पाली का कलश, मखाना, नारियल, मिठाई. इसके अलावा आपको पूजा के लिए एक वट वृक्ष की आवश्यकता है.

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वट सावित्री व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन की रक्षा के लिए यमराज के पीछे चल दीं. वह तब तक उनके पीछे रहीं, जब तक यमराज ने उनको पुनर्जीवन नहीं दे दिया. यह घटना ज्येष्ठ अमावस्या के दिन हुई थी, इस वजह से इस​ तिथि को वट सावित्री का व्रत रखते हैं. इस घटना से देवी सावित्री अमर हो गईं.

सत्यावान को वट वृक्ष के नीचे ही जीवनदान मिला था, इसलिए इस व्रत में वट सावित्री, सत्यवान के साथ उसकी भी पूजा होती है. जो महिलाएं वट सावित्री व्रत रखती हैं, उनके जीवनसाथी की आयु लंबी होती है. दांपत्य जीवन खुशहाल होता है और सुख-समृद्धि आती है.

Tags: Dharma Aastha, Religion, Vat Savitri Vrat


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