Thursday, October 17, 2024
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कब है बुध प्रदोष व्रत? बन रहे हैं 6 शुभ संयोग, शाम को इस समय ही करें शिव पूजा, जानें मुहूर्त और महत्व

Budh pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत हर मा​ह की त्रयोदशी ति​थि को रखा जाता है. जिस दिन वह होता है, उस दिन के साथ जुड़कर वह विशेष फल प्रदान करता है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत है और उस दिन बुधवार है, इस वजह से वह बुध प्रदोष व्रत है. इस बार बुध प्रदोष व्रत के दिन 6 शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. इसमे भगवान शिव की पूजा करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और उनकी कृपा प्राप्त होगी. बुध प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय ही की जाती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि बुध प्रदोष व्रत कब है? बुध प्रदोष व्रत के दिन कौन से 6 शुभ संयोग बन रहे हैं? बुध प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त और महत्व क्या है?

किस दिन है बुध प्रदोष व्रत 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 19 जून बुधवार को सुबह 07 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी. उसका समापन 20 जून गुरुवार को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगा. ऐसे में बुध प्रदोष व्रत के लिए त्रयोदशी तिथि में आवश्यक प्रदोष काल 19 जून को प्राप्त हो रहा है, इसलिए बुध प्रदोष व्रत 19 जून बुधवार को रखा जाएगा.

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6 शुभ संयोग में है बुध प्रदोष व्रत
19 जून को बुध प्रदोष व्रत के दिन 6 शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. उस दिन सिद्ध योग, साध्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग और कैलाश पर शिववास है. इनके अलावा विशाखा नक्षत्र प्रात:काल से शाम 5:23 बजे तक है, उसके बाद से अनुराधा नक्षत्र प्रारंभ है.

1. सिद्ध योग: प्रात:काल से लेकर 09:12 पी एम तक
2. साध्य योग: रात 09:12 पी एम से अगले दिन 08:13 पीएम तक
3. सर्वार्थ सिद्धि योग: 05:23 पी एम से 20 जून को 05:24 ए एम तक
4. रवि योग: शाम 05:23 बजे से 20 जून को सुबह 05:24 बजे तक
5. अमृत सिद्धि योग: शाम को 5 बजकर 23 मिनट से 20 जून को सुबी 5 बजकर 24 मिनट
6. शिववास: कैलाश पर सुबह 07:28 बजे तक, उसके बाद नंदी पर

बुध प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
बुध प्रदोष व्रत के दिन आपको शिव जी की पूजा के लिए 2 घंटे का शुभ मुहूर्त मिलेगा. उस दिन जो लोग व्रत रखेंगे, वे शाम के समय 7 बजकर 22 मिनट से शिव पूजा कर सकते हैं. पूजा का मुहूर्त 7:22 पीएम से रात 09:22 पीएम तक है.

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शाम में ही होती है प्रदोष पूजा
प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा हमेशा शाम के समय ही करने का विधान है. सूर्यास्त के बाद से जब प्रदोष काल प्रारंभ होता है, उसमें विधि विधान से शिव पूजा करते हैं.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा मिलती है और बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान भोलेनाथ आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति के संकट दूर होते हैं, दुख, कष्ट और पाप का नाश होता है. शनि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है.

Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion


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