Friday, November 22, 2024
HomeReligionकाल भैरव और बटुक भैरव में क्या है अंतर? सिद्धि प्राप्ति के...

काल भैरव और बटुक भैरव में क्या है अंतर? सिद्धि प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम है इनकी पूजा

Bhairav Jayanti 2024 : भगवान भैरव को महादेव का अवतार माना जाता है, कलयुग में बहुत ही सिद्ध अवतार है भैरव का. यह अवतार साधकों को सिद्धियां भी देता है. ऐसे तो भैरव 52 प्रकार के हैं , लेकिन आज हम आपको काल भैरव और बटुक भैरव की उत्पत्ति की कथा बताएंगे कि कैसे इनके अवतार हुए.

काल भैरव : पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा-विष्णु में बहस छिड़ी की श्रेष्ठ देवता कौन है तो समस्त ऋषि, मुनि और वेदों ने शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया. ब्रह्मा जी ने इस बात को स्वीकार नहीं किया. तब शिव जी के शरीर से एक अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ. शिव जी ने ब्रह्मा-विष्णु जी से कहा कि इस स्तंभ का ओर या छोर जो पता लगा लेना वही बड़ा देवता होगा. ब्रह्मा जी ऊपर की तरफ चले तो विष्णु जी नीचे की ओर चल दिए. काफी संघर्ष के बाद विष्णु जी ने तो शिव जी को श्रेष्ठ मान लिया, लेकिन ब्रह्मा जी ने झूठ बोल दिया कि उन्हें छोर मिल गया.

शिव ने उन्हें झूठा करार दिया, तब ब्रह्मा जी क्रोध में आकर भोलेनाथ का अपमान करने लगे. इस दौरान शिव के अंश से एक विकराल गण की उत्पत्ति हुई, जिसे काल भैरव कहा गया. काल भैरव ने ब्रह्मा जी का 5वां सिर धड़ से अलग कर दिया, जो अपमानजनक बातें कर रहा था. तांत्रिक पूजा में काल भैरव की पूजा अचूक मानी जाती है. अघोरी-तंत्र साधना करने वाले सिद्धियां प्राप्त करने के लिए काल भैरव को पूजते हैं.

Kaal Bhairav Jayanti: काल भैरव जयंती पर लगाएं ये ​प्रिय भोग, शत्रुओं का होगा नाश, पुरी होगी मन की मुराद!

बटुक भैरव : जब परमेश्वरि महाकाली को शांत करने के लिए परमेश्वर भगवान् शिव माता के चरणों के नीचे लेट गए थे, तब माता काली को जिस पश्चाताप ने घेरा था, उसके कारण माता ने भगवान् शिव से ये वचन लिया था कि आज के उपरांत वो कभी उनके सामने भूमिशायी नहीं होंगे. तब भगवान् ने उन्हें वचन दे दिया परन्तु कालांतर में जब माता ने दारुक नमक असुर का संघार करने के लिए पुनः काली स्वरुप धारण किया और वो नियंत्रण से बाहर हो गयी तो भगवान् ने वचनबंधित होने के कारण एक नन्हें से बालक का रूप धारण किया और मां, मां कहकर काली मां को पुकारना आरम्भ किया.

बालक की करूण पुकार को सुन कर मां काली का ह्रदय द्रवित हो गया और वो अपना आक्रोश भूलकर उसे गोद में लेकर लाड-प्यार करने लगी और उनका क्रोध शांत होकर उनका उग्र रूप शांत हो गया. तब उस बालक से मां ने पूछा कि तुम कौन हो? तो उस बालक ने उत्तर दिया कि शिव हूँ, तुम्हें शांत करने के लिए मैंने ये बटुक रूप धारण किया है. बटुक का अर्थ होता है बाल रूप. तब माता ने कहा कि आप अपने पूर्व रूप को धारण करिए. तब भगवान् शिव अपने शिवरूप में आ गए.

तब माता ने उनसे पुनः आग्रह किया, आप अपने भीतर से उस बटुक रूप को बहार निकालिए. तो भगवान् शिव ने उनसे इसका कारण पूछा. इस पर उन्होंने कहा कि उस स्वरूप में आपने मुझे मां कहा है? आप तो मेरे स्वामी हैं पुत्र नहीं हो सकते. तब परमेश्वर ने पुनः बटुक रूप को प्रकट किया. तब माता ने उनसे कहा कि आपने इस बटुक रूप में संसार की रक्षा की है मेरे क्रोध से, इसलिए आज से आपको भैरव की उपाधि दी जाती है. आज से आप ‘बटुक भैरव’ के रूप में पूजे जाएंगे और मेरे पुत्र के रूप में जाने जाएंगे.

बटुक भैरव पापियों के काल है, उनकी उपस्थिति साधको को सुख का आभास करवाती है, वही वो बालक पांच वर्ष की आयु में भी पापियों का काल है, सोचिये की जिस बालक ने मां काली के क्रोध को शांत कर दिया, उसके सामने कौन ऐसा है जो अपनी शक्ति दिखाएगा. ये थी बाबा बटुक भैरव की उत्पत्ति की कथा.

शीघ्र फल देते हैं भैरव : काल भैरव का रूप अत्यंत प्रचंड माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा-आराधना या साधना से फौरन फल की प्राप्ति होती है. वहीं जो लोग बटुक भैरव की आराधना करते हैं, उन्हें फल की प्राप्ति तो होती है लेकिन इसमें समय लग जाता है. इसीलिए आप देखेंगे कि जिन परेशानियों में तत्काल फल की जरूरत होती है, वहां काल भैरव की पूजा ही की जाती है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Kaal Bhairav


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular