Jyeshtha Month 2024 Vrat Tyohar: वैदिक पंचांग के अनुसार 24 मई से ज्येष्ठ मास शुरू हो रहा है. भीषण गर्मी और लू के लिए जाना जाता है यह महीना कई महत्वपूर्ण व्रतों और त्योहारों को समेटे हुए आता है. आइए, ज्येष्ठ मास के प्रमुख व्रतों, त्योहारों और इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानते हैं. धार्मिक अनुष्ठानों और भीषण गर्मी का संगम ज्येष्ठ मास हिन्दू धर्म में विभिन्न व्रतों और त्योहारों का खास महीना होता है. सूर्य की तीव्र किरणों के कारण इस दौरान प्रचंड गर्मी पड़ती है. ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संपन्न होने वाला यह मास आध्यात्मिक अनुष्ठानों और धार्मिक समारोहों का भी आयोजन होता है.
ज्येष्ठ मास को स्नान मास भी कहा जाता है. इस महीने में किए गए स्नान को पुण्यकारी माना जाता है. ज्येष्ठ मास में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं. वट सावित्री व्रत भी इसी महीने में रखा जाता है. ज्येष्ठ मास भगवान विष्णु की पूजा के लिए भी उत्तम महीना माना जाता है.
कब से कब तक ज्येष्ठ माह
प्रारंभ: 24 मई (शुक्रवार), ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा तिथि
समापन: 21 जून (शुक्रवार), ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि
प्रमुख व्रत एवं त्यौहार
वट सावित्री व्रत (6 जून): सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से यह व्रत रखती हैं. इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष विधान है. मान्यता है कि सती सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के चंगुल से वापस लाने के लिए इसी दिन वट वृक्ष के नीचे कठोर तपस्या की थी.
शनि जयंती (6 जून): ज्येष्ठ मास में ही शनि देव, जो न्याय और कर्म के कारक माने जाते हैं, की जयंती भी मनाई जाती है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए लोग सरसों का तेल, शमी के पत्ते और लोहे की वस्तुएं चढ़ाते हैं.
निर्जला एकादशी (18 जून): हिन्दू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक निर्जला एकादशी इसी मास में पड़ती है. इस व्रत में जल ग्रहण किए बिना उपवास रखा जाता है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत (21 जून): ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही, कुछ लोग इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व मानते हैं.
अन्य महत्वपूर्ण तिथियां: ज्येष्ठ मास में विनायक चतुर्थी (10 जून) और गायत्री जयंती (17 जून) जैसी महत्वपूर्ण तिथियां भी पड़ती हैं. भगवान गणेश को बुद्धि और शुभ कार्यों के देवता के रूप में पूजा जाता है, वहीं गायत्री माता को वेदों की माता माना जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन उनका पूजन किया जाता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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