हिंदू कैलेंडर का तीसरा माह ज्येष्ठ का प्रारंभ 24 मई दिन शुक्रवार से हो रहा है. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को इस महीने का पहला दिन होता है. ज्येष्ठ माह में भगवान त्रिविक्रम की पूजा करने का विधान है. जो लोग भगवान त्रिविक्रम की पूजा करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं और शत्रुओं पर जीत हासिल होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार, जो व्यक्ति ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को व्रत रखकर भगवान त्रिविक्रम की पूजा करता है, उसके अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत मथुरा में करें तो और अच्छा होगा. इसका वर्णन विष्णु पुराण में है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ माह में क्या करें और क्या न करें?
ज्येष्ठ माह 2024 का प्रारंभ
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 23 मई गुरुवार को 07:22 पीएम से शुरू होगी और 24 मई को 07:24 पीएम तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर ज्येष्ठ कृष्ण प्रतिपदा तिथि 24 मई को है. इस दिन से ज्येष्ठ माह प्रारंभ हो जाएगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग और अनुराधा नक्षत्र में ज्येष्ठ की शुरुआत
शिव योग और अनुराधा नक्षत्र में इस माह का शुरू हो रहा है. ज्येष्ठ माह के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना है, जो सुबह 05:26 ए एम से सुबह 10:10 ए एम तक है.
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ज्येष्ठ माह में करें भगवान त्रिविक्रम की पूजा
भगवान त्रिविक्रम श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं. राक्षसराज बलि को मुक्ति प्रदान करने वाले भगवान विष्णु के वामन अवतार को त्रिविक्रम के नाम से जानते हैं. उन्होंने तीन पग में पूरी सृष्टि नाप दी थी, उन 3 पग के कारण उनको त्रिविक्रम कहा जाता है. भगवान त्रिविक्रम की पूजा करके आप अपने दुश्मनों पर विजय पा सकते हैं और सभी पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं.
ज्येष्ठ माह में क्या करें?
1. ज्येष्ठ माह में जल का दान करना बड़ा ही पुण्य फलदायी माना जाता है. इस वजह से ज्येष्ठ माह में राहगीरों को पानी पिलाना चाहिए. उनके लिए प्याऊ की व्यवस्था करनी चाहिए. पशु पक्षियों को भी पानी पिलाना चाहिए. विष्णु कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट मिट जाते हैं.
2. ज्येष्ठ माह में भगवान विष्णु, शनि देव, हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. इन देवों की पूजा करने से व्यक्ति को कार्यों में सफलता मिलती है. जाने-अनजाने में किए गए पाप से मुक्ति मिलती है.
3. ज्येष्ठ में बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने का विधान है. जो विधि विधान से 4 बड़े मंगलवार का व्रत करता है और वीर बजरंगबली की पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
4. इस माह में जल की पूजा का महत्व है क्योंकि इस माह में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी दो बड़े व्रत एवं पर्व हैं. ये दोनों ही जल के महत्व को बताते हैं. गंगा दशहरा गंगा के अवतरण की महिमा का बखान करता है. गंगा के स्पर्श मात्र से पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है, वहीं निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी व्रतों के बराबर पुण्य देती है.
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ज्येष्ठ माह में क्या न करें?
1. ज्येष्ठ माह में कभी भी घर के बड़े बेटे या बेटी की शादी बड़े लड़के या लड़की से नहीं करनी चाहिए. कहा जाता है कि ज्येष्ठ में कोई भी 3 ज्येष्ठ काम नहीं करते हैं. इसे अशुभ माना जाता है.
2. ज्येष्ठ में मसालेदार खाना, मांस या गर्म तासीर वाली वस्तुएं के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इस माह में सूर्य की तपिश ज्यादा होती है. ऐसे में ये भोजन आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
3. मानव जीवन के लिए जल का महत्व है. यदि आपके द्वार पर कोई प्यासा आता है तो उसे पानी जरुर पिलाएं. उसे भगाएं नहीं हैं. प्यासे को पानी पिलाना बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है.
4. ज्येष्ठ माह में दोपहर के समय यात्रा करने से बचना चाहिए. सूर्य की तपिश के कारण बीमार पड़ने की आशंका रहती है. शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखनी चाहिए.
5. ज्येष्ठ के महीने में दोपहर के समय सोने से बचना चाहिए. इसके अलावा इस महीने बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे संतान को हानि हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 06:50 IST