Saturday, November 23, 2024
HomeReligionJyeshtha Ekadashi 2024: ज्येष्ठ मास में अचला-निर्जला एकादशी व्रत कब है, जानें...

Jyeshtha Ekadashi 2024: ज्येष्ठ मास में अचला-निर्जला एकादशी व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और महत्व

Jyeshtha Ekadashi 2024: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अचला एकादशी व्रत रखा जाता है. वहीं ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है. निर्जला एकादशी साल भर की प्रमुख एकादशी तिथियों में से एक मानी जाती है, इस व्रत को बिना पानी पिए निर्जला रखा जाता है, इसलिए यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना गया है. इस व्रत को भीम ने भी रखा था, इसलिए इस व्रत को भीमेसेनी एकादशी भी कहा जाता है. कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्‍णु शीघ्र प्रसन्‍न होते हैं और भक्तों के कष्‍ट दूर करते हैं. आइए जानते हैं अंचला एकादशी व्रत कब है और निर्जला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्‍व और पूजा विधि के बारे में…

अचला एकादशी 2024 का शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ मास में दो एकादशी व्रत होते हैं, जिसमे से एक कृष्ण पक्ष के समय और दूसरा शुक्ल पक्ष के समय होता है. इस साल अचला एकादशी 2 जून 2024 को मनाई जाएगी. एकादशी का मुहूर्त 2 जून 2024 दिन रविवार को सुबह 03 बजकर 24 मिनट पर प्रारम्भ हो जाएगा और एकादशी तिथि 2 और 3 जून 2024 सोमवार को देर रात 12 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. इस व्रत को करने वाले लोग 3 जून को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट के बीच पारण कर सकते हैं.

निर्जला एकादशी 2024 मुहूर्त

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून 2024 को सुबह 02 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 18 जून 2024 को सुबह 04 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी. इस बार निर्जला एकादशी का व्रत दो दिन रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार स्मार्त लोग 17 जून को निर्जला एकादशी तिथि का व्रत रखेंगे. वहीं वैष्णव लोग 18 जून 2024 को निर्जला एकादशी तिथि का व्रत रखेंगे. निर्जला एकादशी व्रत जो लोग 17 जून को रखेंगे वे 18 जून दिन मंगलवार को व्रत पारण करेंगे. वहीं जो लोग 18 जून दिन बुधवार को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे, वे लोग 19 जून को व्रत पारण करेंगे.

Also Read: Hanuman Chalisa: क्या आप जानते है हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे?

क्या निर्जला एकादशी व्रत में पानी पी सकते हैं?
निर्जला का मतलब है बिना जल ग्रहण किए रहना. इस व्रत के दौरान पानी भी नहीं ग्रहण किया जा सकता है, इसलिए यह व्रत बेहद कठिन माना जाता है. हालांकि शुद्धि के लिए जल से आचमन करने की अनुमति दी गयी है.

निर्जला एकादशी की पूजा विधि

निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्‍दी स्‍नान करके सूर्यदेव को जल चढ़ाएं. मन ही मन भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी का स्‍मरण करते हुए व्रत करने का संकल्‍प करें. लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की मूर्ति स्‍थापित करें. मूर्ति को गंगाजल से स्‍नान करवाएं और उसके बाद भोग आरती के साथ विधि विधान से पूजा करें. भगवान को पीले फल, पीले फूल, पीले अक्षत और मां लक्ष्‍मी को खीर का भोग लगाएं. विष्‍णु सहस्‍त्रनाम और विष्‍णु चालीसा का पाठ करें. फिर पूरे दिन भगवान का व्रत करें और पूजा पाठ में मन लगाएं.

निर्जला एकादशी का महत्‍व
विष्‍णु पुराण में निर्जला एकादशी को बहुत ही खास माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी के व्रत को करने से सभी एकादशी का व्रत करने के समान फल मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि 5 पांडवों में से एक भीम ने निर्जला एकादशी का यह व्रत किया था, इसलिए उन्‍हें मोक्ष और लंबी आयु की प्राप्ति हुई थी, इसलिए इस व्रत को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस व्रत को करने से आर्थिक तंगी भी खत्‍म होती है और मां लक्ष्‍मी की कृपा प्राप्त होती है.

निर्जला एकादशी के लाभ

  • निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साधक को निम्न फलों की प्राप्ति होती है.
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है.
  • जीवन में सफलता, समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ मिलता है.
  • भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
  • मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद मिलता है.
  • पुराने पापों की समाप्ति होती है.


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular