जोधपुर. हिंदू धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शनि जयंती आज मनाई जाएगी. ऐसा माना जाता है शनि देव न्याय के देवता हैं. शनि जयंती के दिन विधि विधान के साथ यदि पूजा अर्चना के बाद व्रत किया जाता है तो भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं.
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया शनि देव सभी भक्तों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. लोग शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और किसी भी तरह के कुप्रभाव से बचने के लिए कई प्रकार से आराधना करते हैं.
शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न
धर्म और ज्योतिष की दृष्टि से सूर्य पुत्र शनिदेव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. मान्यता है आज के दिन शनिदेव की विधि पूर्वक उपासना करने से शनिजनित दोषों को कम किया जा सकता है. शनिदेव को न्यायप्रिय और कर्मों के अनुसार फल देने वाला देवता कहा गया है. अच्छे कर्म करने वालों पर शनि देव की सदैव कृपा बनी रहती है और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जबकि बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को शनिदेव कठोर दंड देते हैं. शनि देव की कुदृष्टि से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
शनि जयंती पर क्या करें
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 06 जून 2024 यानि आज है. इस तिथि पर शनि जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाएगा.
क्या न करें
डा. अनीष व्यास ने बताया शनि जयंती के दिन ध्यान रखें कि घर पर लोहे से बनी कोई वस्तु ना लेकर आएं. लोहे की चीजें खरीदने से भगवान शनि रुष्ट हो जाते हैं. ऐसा करने से आपकी शारीरिक और आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं. शनि जयंती के दिन इस बात का ध्यान रखें कि आप शमी या पीपल के वृक्ष को हानि न पहुचाएं. ऐसा करने से आप शनि के प्रकोप के घेरे में आ सकते हैं. सरसों का तेल, लकड़ी, जूते-चप्पल और काली उड़द को आप भूल से भी शनि जयंती पर खरीदकर नहीं लाएं,वरना आपको शनिदेव की कुदृष्टि का सामना करना पड़ सकता है.
शनि देव की पूजा की विधि
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया इस दिन सुबह उठकर नित्यकर्म और स्नानादि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. घर में पूजा स्थल पर शनिदेव की मूर्ति स्थापित करें. शनि देव को तेल, फूल, माला आदि चढ़ाएं. शनिदेव को काला उड़द और तिल का तेल चढ़ाना बहुत शुभ होता है. शनि देव को तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें. शनि देव की आरती करने के बाद हाथ जोड़कर प्रणाम करें और बाद में प्रसाद का वितरण करें. शनि जयंती के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. सामर्थ्य के अनुसार दान- पुण्य करने से लाभ मिलता है.
साढ़ेसाती और ढैय्या
डा. अनीष व्यास ने बताया शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं. शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते हैं. साल 2024 में शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं. साल 2024 में कुंभ, मकर और मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसके अलावा कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव है. शनि जयंती पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान होंगे.
जातक करें ये उपाय
मेष राशि – तिल के तेल से शनि देव का अभिषेक करें.
वृषभ राशि – नारियल, मूंगफली या सरसों के तेल से शनि का अभिषेक करें.
मिथुन राशि – तिल के तेल से अभिषेक और हवन करें.
कर्क राशि – सरसों के तेल का दान करें.
सिंह राशि – सरसों का तेल या तिल का तेल शनि को चढ़ाएं.
कन्या राशि – तिल, मूंगफली, सरसों तेल का दान करें.
तुला राशि – नारियल, मूंगफली या सरसों के तेल भगवान को चढ़ाएं.
वृश्चिक राशि – तिल या सरसों के तेल से अभिषेक कर सकते हैं.
धनु राशि – सोयाबीन, मूंगफली तेल का दान कर सकते हैं.मकर राशि – सरसों या तिल के तेल से शनि देव का अभिषेक और हवन करें.
कुंभ राशि – सरसों का तेल किसी मंदिर में दान करें.
मीन राशि – सोयाबीन, मंगूफली तेल से शनि देव का अभिषेक कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 07:41 IST