Jitiya Vrat 2024: अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जिउतिया (जीवित पुत्रिका) व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 25 सितंबर बुधवार को रखा जायेगा. नहाय-खाय का अनुष्ठान 24 सितंबर मंगलवार को होगा. जिउतिया व्रत को लेकर घर से बाजार तक तैयारी शुरू हो गयी है. माताएं संतान की लंबी उम्र, समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए निर्जला व्रत रखेंगी. बाजार में जहां माताओं ने स्वर्णकारों से सोना व चांदी का जिउतिया बनाने का ऑर्डर दिया है, तो मिठाई दुकानदारों ने खाजा, खज्जी आदि व्यंजन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके अलावा बाजार में फल व सब्जी का स्टॉक करने की तैयारी की जा रही है. इसे लेकर सब्जी उत्पादकों को एडवांस ऑर्डर दिया गया है.
जिउतिया का शुभ मुहूर्त
पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रवेश 24 सितंबर को संध्या 6:06 बजे होगा, जो दूसरे दिन संध्या 5:05 तक अष्टमी तिथि का मान रहेगा. इस दौरान व्रत किया जायेगा. संध्या 5:05 बजे के बाद पारण किया जायेगा. वहीं, बनारसी पंचांग के अनुसार उदया तिथि का मान होने के कारण 25 सितंबर को व्रत किया जायेगा, जबकि पारण 26 सितंबर को किया जायेगा. बनारसी पंचांग के अनुसार 24 सितंबर को संध्या 5:57 बजे अष्टमी तिथि का प्रवेश होगा, जो 25 सितंबर को संध्या 4:56 तक रहेगा. वहीं, पंडित अंजनी शर्मा ने बताया कि 26 सितंबर को माताएं जिउतिया का पारण करेंगी.
Jitiya Vrat Kab Hai 2024: मिथिला पंचांग के अनुसार कब है जितिया व्रत, यहां जानें
संतान की रक्षा के लिए महिलाएं रखतीं हैं निर्जला व्रत
पंडित आरके चौधरी ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है. यह कठिन व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक प्रचलित है. संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी यह व्रत रखा जाता है. अष्टमी को निर्जला रखने वाले इस व्रत का समापन पारण के साथ नवमी तिथि को होता है. व्रत में एक दिन पहले से तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना होता है. जिउतिया व्रत संतान की दीर्घायु और उनकी सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं.
जिउतिया पूजन विधि
जिउतिया व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को भी साफ करे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में एक छोटा सा तालाब बना कर पूजा की जाती है.
जिउतिया का पारण
निर्जला उपवास रखने के बाद जिउतिया व्रत का पारण नवमी तिथि में प्रातः काल पूजा-पाठ के बाद सूर्य देव को अर्घ देकर किया जाता है.