जमशेदपुर:गोलमुरी स्थित आदिवासी हो समाज भवन में गुरुवार को नेशनल हो फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार की श्रेणी में चयनित 7 शॉर्ट फिल्म व 27 म्यूजिक वीडियो एलबम की जूरी स्क्रीनिंग की गयी. जूरी मेंबरों ने शॉर्ट फिल्म सिंदूरी, प्रेम मायोम ते, बोरो गियु:, दुलड़ तोरांग ओंडो मिसे, काजिदो हासुगेया, देशाउली व बीडी को बारीकी देख व परखा. वहीं 27 म्यूजिक वीडियो एलबम को थीम, तकनीक, क्वालिटी एवं गाने की बोल समेत अन्य बिंदुओं पर जांच व परखा गया. जूरी स्क्रीनिंग को सफल बनाने में डेविड सिंह बानरा, दुर्गाचरण बारी, समीर कालुंडिया, रवि सवैयां, निकिता बिरुली, उपेंद्र बानरा, सीता हेंब्रम, पुरान हेंब्रम, अजय बिरुली, दुगाई कुंकल, रायसिंह बिरुआ, विजय बारी, अनिल बोदरा, मार्शल बिरुली, विकास उगुरसुंडी, राजेश पूर्ति, पिंकी मुंडा, सोनी मुर्मू, सरस्वती हेंब्रम, राजेश बानरा, लक्ष्मण तामसोय आदि ने सराहनीय योगदान दिया.
अच्छी फिल्में बना रहे हैं निर्माता-निर्दशक: राजूराज बिरूली
निर्माता-निर्देशक, अभिनेता सह जूरी मेंबर राजूराज बिरूली ने शॉर्ट फिल्मों के निर्माण पर चर्चा करते हुए कहा कि हाल के दिनों में नये निर्माता-निर्देशक अच्छी व क्वालिटी युक्त फिल्में बना रहे हैं. वे ग्राउंड लेबल की कहानियों को फिल्म के माध्यम से लोगों के सामने ला रहे हैं. उन्होंने फिल्म प्रेम मायोम ते के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह शॉर्ट फिल्म मातृभाषा हो की लिपि वारंगक्षिति के प्रचार-प्रसार व आंदोलन पर आधारित है. इसमें दिखाया है कि लोग कैसे अपने निजी स्वार्थ के लिए आंदोलन को तोड़ते व मुद्दा को भटकाते हैं. वहीं शॉर्ट फिल्म बीड़ी में नशे की लत से उबरने का संदेश दिया गया है. जबकि शॉर्ट फिल्म देशावली में पूंजीपति व ग्रामीणों के बीच की तकरार को दिखाया गया. जिसमें यह बताने का प्रयास किया गया है कि आदिवासी समाज को विनाश के गर्त में ले जाने के लिए स्वार्थी आदिवासी ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि निर्माता-निर्देशक अच्छी फिल्में बना रहे हैं. इनको प्रोत्साहन मिलना चाहिए.
फेस्टिवल की तैयारी पूरी, हजारों लोग पहुंचेंगे
ऑल इंडिया हो फिल्म एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरा बिरूली ने बताया कि सिने अवाॅर्ड समारोह-2024 की सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. 16 जून को बिष्टुपुर सीएच एरिया स्थित एक्सएलआरआई प्रेक्षागृह में सिने अवार्ड समारोह का आयोजन होगा. इसबार फेस्टिवल का स्वरूप बड़ा किया गया है. फेस्टिवल में झारखंड, बंगाल व ओडिशा के गणमान्य लोगों के अलावा सैकड़ों लोग सिने अवार्ड समारोह में शामिल होंगे.
साहित्य और सिनेमा की झलक देखने को मिलेगी
नेशनल हो फिल्म फेस्टिवल को लेकर समाज के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. इस फेस्टिवल में झारखंड, ओडिशा और बंगाल से भी लोग शामिल हो रहे हैं, जिससे यह कार्यक्रम और भी रंगीन और विविधतापूर्ण बन जाएगा. यह फेस्टिवल स्थानीय संस्कृति, कला और फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है. विभिन्न राज्यों के कलाकार अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत करने के लिए उत्सुक हैं. फेस्टिवल में झारखंड के जनजातीय जीवन, ओडिशा के नृत्य और कला, और बंगाल के साहित्य और सिनेमा की झलक देखने को मिलेगी. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य न केवल क्षेत्रीय फिल्मों को बढ़ावा देना है, बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आने वाले लोगों के बीच आपसी समझ और सहयोग को भी प्रोत्साहित करना है. समाज के लोग इस मौके का फायदा उठाकर अपने क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं और कलाकारों से मिलने का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं. इस तरह के आयोजन स्थानीय प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं. नेशनल हो फिल्म फेस्टिवल एक ऐसा आयोजन है जो न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एकजुट कर उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी प्रदान करता है.