जमशेदपुर: बिष्टुपुर एक्सएलआरआई प्रेक्षागृह में रविवार को ऑल इंडिया हो फिल्म एसोसिएशन की ओर से नेशनल हो फिल्म फेस्टिवल का सिने अवार्ड समारोह का आयोजन होगा. इसमें बेस्ट फिल्म, बेस्ट अभिनेता, बेस्ट अभिनेत्री व बेस्ट निर्देशक सरीखे पुरस्कार सतरंगी रंगारंग कार्यक्रम के बीच बांटा जायेगा. ऑल इंडिया हो फिल्म एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरा बिरूली ने बताया कि सिने अवार्ड समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पहुंच रहे हैं. इसके अलावे आदिवासी समाज के शिक्षा, बुद्धिजीवी, स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख के अलावा जनजातीय सिनेमा से जुड़े निर्माता-निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री भी सिने अवार्ड समारोह में शिरकत कर रहे हैं. सिने अवार्ड समारोह में झारखंड, बंगाल व ओडिशा के कई डांस ट्रूप्स रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे.
बुधन सिंह हेस्सा को दिया जायेगा लाइफटाइम अचिवमेंट पुरस्कार
ऑल इंडिया हो फिल्म एसोसिएशन की ओर से सिने अवार्ड समारोह में इस वर्ष साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता बुधन सिंह हेस्सा को लाइफटाइम अचिवमेंट पुरस्कार दिया जायेगा. एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरा बिरूली ने बताया कि ऑल इंडिया हो फिल्म एसोसिएशन की ओर से हर वर्ष समाज के वैसे लोगों को यह पुरस्कार दिया जायेगा. जो लंबे समय से विभिन्न क्षेत्रों में समाज के उत्थान व प्रगति के लिए कार्य कर रहे हैं. बुधन सिंह हेस्सा (60 वर्षीय) लंबे समय से साहित्य सृजन का कार्य कर रहे हैं. इसके साथ ही सामाजिक कार्यों मेें भी अग्रणी भूमिका अदा कर रहे हैं. बुधन सिंह हेस्सा को ओडिशा में साहित्य रत्न व साहित्य अकादमी की ओर से हो कवि के रूप में सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही फिल्म निर्माण में भी उनकी गहरी रूचि है.
अच्छी फिल्में बना रहे हैं निर्माता-निर्दशक: राजूराज बिरूली
निर्माता-निर्देशक, अभिनेता सह जूरी मेंबर राजूराज बिरूली ने शॉर्ट फिल्मों के निर्माण पर चर्चा करते हुए कहा कि हाल के दिनों में नये निर्माता-निर्देशक अच्छी व क्वालिटी युक्त फिल्में बना रहे हैं. वे ग्राउंड लेबल की कहानियों को फिल्म के माध्यम से लोगों के सामने ला रहे हैं. उन्होंने फिल्म प्रेम मायोम ते के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह शॉर्ट फिल्म मातृभाषा हो की लिपि वारंगक्षिति के प्रचार-प्रसार व आंदोलन पर आधारित है. इसमें दिखाया है कि लोग कैसे अपने निजी स्वार्थ के लिए आंदोलन को तोड़ते व मुद्दा को भटकाते हैं. वहीं शॉर्ट फिल्म बीड़ी में नशे की लत से उबरने का संदेश दिया गया है. जबकि शॉर्ट फिल्म देशावली में पूंजीपति व ग्रामीणों के बीच की तकरार को दिखाया गया. जिसमें यह बताने का प्रयास किया गया है कि आदिवासी समाज को विनाश के गर्त में ले जाने के लिए स्वार्थी आदिवासी ही जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि निर्माता-निर्देशक अच्छी फिल्में बना रहे हैं. इनको प्रोत्साहन मिलना चाहिए.
साहित्य और सिनेमा की झलक देखने को मिलेगी
नेशनल हो फिल्म फेस्टिवल को लेकर समाज के लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. इस फेस्टिवल में झारखंड, ओडिशा और बंगाल से भी लोग शामिल हो रहे हैं, जिससे यह कार्यक्रम और भी रंगीन और विविधतापूर्ण बन जाएगा. यह फेस्टिवल स्थानीय संस्कृति, कला और फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है. विभिन्न राज्यों के कलाकार अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत करने के लिए उत्सुक हैं. फेस्टिवल में झारखंड के जनजातीय जीवन, ओडिशा के नृत्य और कला, और बंगाल के साहित्य और सिनेमा की झलक देखने को मिलेगी. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य न केवल क्षेत्रीय फिल्मों को बढ़ावा देना है, बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आने वाले लोगों के बीच आपसी समझ और सहयोग को भी प्रोत्साहित करना है.
समाज के लोग इस मौके का फायदा उठाकर अपने क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं और कलाकारों से मिलने का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं. इस तरह के आयोजन स्थानीय प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं. नेशनल हो फिल्म फेस्टिवल एक ऐसा आयोजन है जो न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एकजुट कर उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी प्रदान करता है.