Wednesday, October 16, 2024
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Jagannath Rath Yatra 2024 का ये है धार्मिक महत्व

Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथ यात्रा, जिसे “पुरी रथ यात्रा” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की वार्षिक यात्रा का उत्सव है. यह यात्रा हर साल आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पूरी में निकलती है.

इस साल की रथ यात्रा

इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 से 16 जुलाई 2024 तक चलेगी. यह निश्चित रूप से भक्तों के लिए आध्यात्मिक आनंद और उत्सव का समय होगा.

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धार्मिक महत्व

भगवान का दर्शन: रथ यात्रा भक्तों को भगवान जगन्नाथ के दर्शन का अवसर प्रदान करती है, जो माना जाता है कि वे इस दौरान अपने मंदिर से बाहर निकलकर जनता के बीच आते हैं.

पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि रथ यात्रा में शामिल होने या रथ को छूने से पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध होता है.

मोक्ष की प्राप्ति: कई लोगों का मानना है कि रथ यात्रा में भाग लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

रोचक तथ्य

रथों की भव्यता: यात्रा में तीन भव्य रथ शामिल होते हैं – नंदी खींचता हुआ बलभद्र का रथ “बलभद्र रथ”, शेर खींचता हुआ सुभद्रा का रथ “दशावतार रथ”, और गाय खींचता हुआ जगन्नाथ का रथ “नंदिघोष रथ”. ये रथ विशाल और भव्य होते हैं, जिनमें कला और नक्काशी का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है.

यात्रा का मार्ग: रथ यात्रा पुरी के मुख्य मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है. यह यात्रा लगभग 3.5 किलोमीटर लंबी है और इसमें करीब 15 घंटे लगते हैं.

10 दिन का उत्सव: यह यात्रा 10 दिनों तक चलती है, जिसमें रथ यात्रा का मुख्य दिन “रथयात्रा” होता है.

लाखों श्रद्धालु: हर साल लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक बनाता है.

भक्तों का उत्साह: लाखों श्रद्धालु रथों को खींचने और “हरी बोल” के नारे लगाते हुए भगवान जगन्नाथ का स्वागत करते हैं. यह दृश्य अत्यंत भव्य और रोमांचक होता है.

नई मूर्तियां: हर 12 साल में, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियों को बदला जाता है.

इस यात्रा से जुड़ी कई अनोखी परंपराएं हैं, जैसे –

पहिली पग: रथ यात्रा से पहले, भगवान जगन्नाथ के पैरों के निशान ढूंढने के लिए एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है.

अनंत स्नान: रथ यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को “अनंत स्नान” कराया जाता है, जो माना जाता है कि भक्तों के पापों को धो देता है.

माइलागंज: रथ यात्रा के दौरान, भक्त रथों को खींचने के लिए रस्सियों को पकड़ते हैं, जिसे “माइलागंज” कहा जाता है.

प्रसाद का वितरण: यात्रा के दौरान, भक्तों को महाप्रसाद वितरित किया जाता है, जिसे भगवान जगन्नाथ का प्रसाद माना जाता है. यह प्रसाद बहुत पवित्र माना जाता है और इसे बड़े प्रेम से ग्रहण किया जाता है.

जन्मकुंडली से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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