Shankaracharya on Is This The Beginning of The Decline of Sanatan Dharma: सैकड़ों सालों से सनातन धर्म परंपरा चली आ रही है और आज भी इसे मानने वालों की संख्या करोड़ों में है. हालांकि आक्रांताओं ने अक्सर धार्मिक और आर्थिक कारणों से सनातन धर्म पर प्रहार किया है. लेकिन अब इस धर्म की रक्षा की चिंता के सवाल लगातार उठ रहे हैं. ऐसे में जब जगद्गुरू ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामिश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से पूछा गया कि ‘क्या यह सनातन धर्म का अंत है?’ तो उन्होंने भी इस विषय पर चिंताएं जताई हैं. उनका कहना है कि अधर्म होते हुए देखना भी सनातन के हृास का कारण बन रहा है. इतना ही नहीं, उनसे ये भी पूछा गया कि संतों की चुप्पी कितना घातक है. जानिए जगद्गुरू ने सनातन धर्म से जुड़े सवाल की चिंताओं पर क्या जवाब दिया.
अरुण पांडे नाम के एक व्यक्ति ने कोडरमा से जगदगुरू शंकराचार्य, अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 को सवाल भेजते हुए पूछा, ‘अशास्त्रीय चीजें जो हो रही हैं, उस सब को देखते हुए भी संतो का चुप रहना कहां तक उचित है. क्या ये सनातन धर्म के अंत की शुरुआत है?’ इस सवाल का उत्तर देते हुए जगद्गुरू शंकराचार्य ने कहा, ‘आपका अनुमान बिलकुल सही है. जब हमारे सामने कुछ भी गलत हो रहा हो और हम चुप रह जाते हैं, तो वह गलत बात बढ़ जाती है. जैसे-जैसे वह गलत बात बढ़ती चली जाएगी, जो सही बात है, वह दब जाएगी. फिर एक समय ऐसा आएगा कि सब तरफ सिर्फ गलत ही गलत छा जाएगा और सही बात गर्भ में चली जाएगी. इसकी को धर्म को हृास कहते हैं. धर्म का हृास तब होता है, जब धर्म का पालन करने वाले लोग अधर्म होता हुआ देखकर भी आंख मूंद लेते हैं.’
जगद्गुरू ज्योतिर्मठ शंकराचार्य ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ये वीडियो अपलोड किया है.
जगद्गुरू आगे कहते हैं, ‘इसलिए सभी धार्मिक लोगों को 2 चीजों का पालन करना होगा. पहला कि उन्हें अपने जीवन में धर्म का पालन करना होगा. दूसरा अधर्म होते हुए न देखने का प्रण लेना होगा कि मैं अधर्म नहीं होने दूंगा. अगर रोक नहीं सकता, तो विरोध करूंगा. और विरोध भी नहीं कर सकता तो कम से कम वहां से हट जाउंगा. मेरे घर में अगर मेरे सामने कचरा पड़ा है, तो उसे हटाना मेरा धर्म है. आपने कहाहै कि सनातन धर्म के अंत की शुरुआत है, तो देखिए सनातन का अंत तो होता नहीं है. इसलिए आपसे इस अंश में हम असहमत हैं. इसे आप ऐसे कह सकते हैं कि ‘क्या ये सनातन धर्म का हृास की शुरुआत है? तो हम कहेंगे कि हां, ये बिलकुल सही बात है.’
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FIRST PUBLISHED : July 8, 2024, 12:59 IST