Inflation: भारत से क्या महंगाई खत्म हो गई है या आने वाले दिनों में आम लोगों को इससे राहत मिलने वाली है? भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुलेटिन में तो यही उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. केंद्रीय बैंक की ओर से जारी किए गए बुलेटिन में कहा गया है कि अगस्त 2024 के बीते 15 दिनों के दौरान अनाज, दाल और खाद्य तेलों की कीमतों में बड़े पैमाने पर नरमी आई है.
आरबीआई डिप्टी गवर्नर की टीम ने तैयार की बुलेटिन
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) में सालाना बदलाव के आधार पर मापी जाने वाली सकल मुद्रास्फीति जुलाई 2024 में घटकर 3.5 फीसदी पर आ गई, जो जून 2024 में 5.1 फीसदी पर थी. आरबीआई की ओर से अगस्त 2024 के लिए जारी किए बुलेटिन में कहा गया है कि महंगाई दर में 1.54 फीसदी की कमी आने का कारण 2.9 फीसदी का अनुकूल तुलनात्मक आधार है. इससे 1.4 फीसदी से अधिक का सकारात्मक असर पड़ा है. इस बुलेटिन को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की टीम ने तैयार की है.
आम आदमी को हाथ नहीं धरने दे रहा आलू
आरबीआई के बुलेटिन में कहा गया है कि 12 अगस्त तक खाद्य वस्तुओं की कीमतों के आंकड़ों से पता चलता है कि अनाज, दाल और खाद्य तेल की कीमतों में बड़े पैमाने पर नरमी आई है. हालांकि, सब्जियों में आलू के दाम लगातार ऊंचे बने हुए हैं और यह आम आदमी को हाथ नहीं धरने दे रहा है. वहीं, प्याज और टमाटर के दाम में थोड़ी कमी आई है.
मौद्रिक नीति से काबू में है महंगाई
‘क्या खाद्य कीमतों का असर अन्य क्षेत्रों पर हो रहा है? शीर्षक से जारी किए गए बुलेटिन में कहा गया है कि 2022-23 से कोर मुद्रास्फीति में कमी आ रही है. इसका कारण मुख्य रूप से मौद्रिक नीति उपायों, रुख और लागत आधारित झटकों में कमी के कारण है. हालांकि, इन वर्षों में खाद्य कीमतों में तेजी मुख्य मुद्रास्फीति पर उल्टा दबाव डाल रही हैं, लेकिन मौद्रिक नीति के तहत महंगाई में कमी लाने के उपायों से यह काबू में है.
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वैश्विक स्तर पर तनाव से बेकाबू हो सकती है महंगाई
आरबीआई के बुलेटिन में कहा गया है कि क्या महंगाई में कमी लाने के उपायों को हल्का करना चाहिए? सकल मांग बढ़ रही है. इसके साथ, वैश्विक स्तर पर जारी तनाव के बीच लागत आधारित जोखिम भी है. इसको देखते हुए कोर और सकल मुद्रास्फीति के बढ़ने का जोखिम है और यह नियंत्रण से बाहर जा सकता है. अगर खाद्य कीमतों का दबाव बना रहता है और दूसरे क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ता है, तो एक सतर्क मौद्रिक नीति दृष्टिकोण जरूरी है.
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