Friday, November 22, 2024
HomeReligionIndira Ekadashi 2024: पितरों का मिलेगा आशीर्वाद, जरूर रखें इन्दिरा एकादशी का...

Indira Ekadashi 2024: पितरों का मिलेगा आशीर्वाद, जरूर रखें इन्दिरा एकादशी का व्रत

Indira Ekadashi 2024: एकादशी का व्रत ऐसे तो वर्ष में 24 बार मनाया जाता है लेकिन महालया यानि पितृ पक्ष की अवधि में पड़ने वाले एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है.पंचांग के अनुसार इन्दिरा एकादशी का व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है. मान्यता यह है यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से सभी तरह से कष्ट दूर होते है.यह एकादशी पितृपक्ष में पड़ने के कारण भगवान विष्णु के पूजन से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है और आपके परिवार में बनी हुई सभी तरह के कष्टों से छुटकारा पाते है और सुख-समृद्धि और मृत्यु के मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पूरी होती है मनोकमना

पितृपक्ष में पड़ने वाले इंदिरा एकादशी का जो लोग इस दिन उपवास करते है.उनके परिवार में पितृ दोष बना हुआ है उसमें राहत मिलता है.हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा पाठ करने से सभी मनोकामना पूरी होती है.इस व्रत का मुख्य उद्देश्य यह है पूर्वजों को मोक्ष्य देना मृत आत्मा को नरक से नहीं गुजरना पड़े .यह व्रत करने के एक दिन पहले दशमी तिथि को पूर्वजों को विशेष पूजन किया जाता है .इसलिए इसे श्राद्ध की एकादशी कहते है.

Diwali Special Rajyoga: बन रहे हैं राजयोग, इन राशियों के लिए दिवाली तक रह सकती है खुशियां

कब है इन्दिरा एकादशी ?

28 सितंबर 2024 दिन शनिवार को मनाया जायेगा.
एकादशी तिथी का आरंभ 27 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार दोपहर 04:22 से
एकादशी तिथी का समाप्त 28 सितंबर 2024 दिन शनिवार दोपहर 04:52 संध्या तक

इन्दिरा एकादशी का पारण मुहूर्त क्या है ?

29 सितंबर 2024 दिन रविवार सुबह 06:03 मिनट से लेकर 08:04 मिनट तक पारण कर सकते है.

इन्दिरा एकादशी व्रत की विधि

व्रत करने वाले को अपने घर को दशमी के दिन ही साफ करे फिर घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी के किनारे अपने पूर्वजों का तर्पण विधि करें.

एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करें फिर अपने पूर्वज का तर्पन करे.

तर्पण विधि के समाप्त होने के बाद ब्राह्मण भोज कराएं और उसके बाद स्वयं भी भोजन ग्रहण करें.व्रत करने वाले को इस दिन दान पुण्य का विषेश महत्व रहता है.

अगर पहले आप अपने पूर्वजों को तर्पन कर चुके है फिर भी एकादशी के दिन फिर से श्राद्ध तथा तर्पण विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद गाय, कौए और कुत्ते को भी जो खाना बना है उसमे से खिलाए

द्वादशी को पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें.

इन्दिरा एकादशी के दिन न करें ये काम

एकादशी के दिन तामसी भोजन नहीं करे . अपने पितरों को इस दिन भोग-विलास से दूर रहना चाहिए. एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इस दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए और न ही बाल, दाढ़ी नहीं बनाना है . नाखुन नहीं काटना है.

इन्दिरा एकादशी पर श्राद्ध का नियम

इन्दिरा एकादशी के दिन पिंडदान करने का नियम एक तरह से बहुत ही कड़क है इस दिन पिंडदान में चावल की आटा की जगह गेहूं की आटा का पिंडदान किया जाता है जो बहुत ही कल्याणक होता है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular