Monday, October 21, 2024
HomeBusinessIndian Army: जवानों के जाने के बाद पत्नी और पैरेंट्स को मिलेगी...

Indian Army: जवानों के जाने के बाद पत्नी और पैरेंट्स को मिलेगी पेंशन?

Indian Army: देश की सीमाओं पर तैनात भारतीय सेना के जवानों और उनके परिजनों के लिए एक जरूरी जानकारी है. जवानों को जाने के बाद उनकी पत्नी और माता-पिता को पेंशन मिल सकती है, अगर सरकार भारतीय सेना की सिफारिश को मान ले. भारतीय सेना ने सरकार से पेंशन नियमों में बदलाव करने की सिफारिश की है, जिसमें कहा गया है कि जवानों के जाने के बाद पत्नी और उनके माता-पिता को आर्थिक मदद के लिए पेंशन नियमों में बदलाव किया जाए. इसके साथ ही, सेना ने अफसर और जवानों के लिए अलग-अलग नियमों को खत्म कर उसमें समानता लाने की भी सिफारिश की है.

कैप्टन अंशुमान सिंह मामले ने सेना को झकझोरा

हिंदी के अखबार नवभारत टाइम्स की वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सियाचीन में दो महीने पहले शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने पेंशन नियमों में बदलाव को लेकर कई सवाल उठाए थे. शहादत के बाद कैप्टन अंशुमान सिंह को सरकार की ओर से कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था. इसके बाद मीडिया में उनके माता-पिता बयान आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि शहीद कैप्टन की पत्नी कीर्ति चक्र सम्मान के साथ सब सामान अपने साथ लेकर चली गई. उस समय उन्होंने सरकार से मांग की थी कि निकटतम परिजन (एनओके-नेक्स्ट ऑफ किन) के नियम में बदलाव किया जाए. इससे पहले भी पेंशन के मामलों में एनओके नियमों पर सवाल उठते रहे हैं. कैप्टन अंशुमान सिंह मामले के बाद सेना ने पेंशन नियमों में बदलाव की सिफारिश की है.

सेना में मौजूदा पेंशन नियम क्या है?

भारतीय सेना के नियमों के अनुसार, जब कोई जवान फौज में सैनिक या अफसर के तौर भर्ती होता है, उन्हें एक विस्तृत फॉर्म भरना पड़ता है. इसके आफ्टर मी फोल्डर कहा जाता है. इस फॉर्म में अपने निकटतम परिजन (नेक्स्ट ऑफ किन) की पूरी जानकारी देनी होती है. जो जवान अविवाहित होते हैं, उनके माता-पिता में से कोई एक उनका निकटतम परिजन हो सकता है. शादी होने के बाद उनकी पत्नी निकटतम परिजन बन जाती है. यदि किसी जवान की मौत हो जाती है या वे शहीद हो जाते हैं, तो उन्हें अलग-अलग तरीके से आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है.

सेना में पारिवारिक पेंशन के तीन नियम

सेना में पारिवारिक पेंशन के तीन नियम है. पहला नियम साधारण होता है. इस नियम के अनुसार, जब कोई सैनिक की किसी बीमारी या सामान्य स्थिति में मौत हो जाती है, तो उनके निकटतम परिजन को पारिवारिक पेंशन मिलती है. यह उनकी तनख्वाह का करीब 30 फीसदी होता है. दूसरा नियम विशेष पारिवारिक पेंशन है. इसके अनुसार, जब किसी सैनिक की मौत ड्यूटी के दौरान या ड्यूटी के कारण हो जाती है, तो उनके निकटतम परिजन को पारिवारिक पेंशन मिलेगी. यह उनके वेतन का करीब 60 फीसदी हिस्सा होता है. तीसरा उदार पारिवारिक पेंशन है. इस नियम के अनुसार, जब किसी युद्ध के दौरान कोई जवान शहीद हो जाते हैं, तब उनके निकटतम परिजन को पारिवारिक पेंशन मिलती है. इसमें उनके वेतन का 100 फीसदी यानी पूरा वेतन पेंशन के रूप में दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें: 37 लाख से अधिक रेलवे के कमर्चारियों को UMID, सिर्फ 100 रुपये में टॉप के हॉस्पिटल में फ्री इलाज

सेना में सैनिकों और अफसरों के लिए नियम अलग

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारतीय सेना में सैनिकों और अफसरों की पेंशन के नियम भी अलग-अलग हैं. सामान्य तरीके से होने वाली मौत के मामले में सैनिक और जूनियर कमीशंड ऑफिसर निकटतम परिजन को सामान्य पारिवारिक पेंशन मिलती है. यही नियम अफसरों पर भी लागू होता है, लेकिन विशेष पारिवारिक पेंशन के मामले जूनियन कमीशंड ऑफिसर और सैनिक की पत्नी और माता-पिता के बीच विशेष पारिवारिक पेंशन बांटी जाती है. इसका मतलब यह कि पेंशन का कुछ हिस्सा पत्नी और कुछ माता-पिता को दिया जाता है. उदार पारिवारिक पेंशन नियम के अनुसार, जूनियन कमीशंड ऑफिसर और जवान की युद्ध में शहादत के बाद पेंशन सिर्फ उनके निकटतम परिजन को ही मिलेगी, जबकि अफसरों के मामले में यह पेंशन पत्नी और माता-पिता के बीच बंट जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना ने पेंशन के इन्हीं नियमों में एकरूपता लाने की सिफारिश की है.

इसे भी पढ़ें: दो दिन में 2,200 रुपये महंगी हो गई चांदी, सोने ने जड़ा छक्का


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular