Chabahar Port: भारत ने के साथ चाबहार स्थिति शाहिद बेहश्ती बंदरगाह टर्मिनल के परिचालन के लिए ईरान के साथ 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, तो अमेरिका ने आंखे तरेर ली है. उसने अपने एक बयान में कहा है कि ईरान के साथ समझौता करने वाले देश को प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा. चाबहार बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. इस बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं. ऐसे में ईरान के साथ समझौता किए बिना इस काम को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, जिसमें अमेरिका प्रतिबंध लगाने की धमकी देकर रोड़ा अटकाना चाह रहा है.
अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने की दी धमकी
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने कहा है कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदे करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाए जाने का खतरा है. उसने यह भी कहा कि वह जानता है कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम इन खबरों से परिचित हैं कि ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मैं चाहूंगा कि भारत सरकार चाबहार बंदरगाह और ईरान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों पर बात करे.
ईरान पर प्रतिबंध जारी रखेगा अमेरिका
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को लेकर ईरान के साथ भारत के समझौते के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि चूंकि यह अमेरिका से संबंधित है. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हैं और हम उन्हें बरकरार रखेंगे. उन्होंने कहा कि आपने हमें कई मामलों में यह कहते हुए सुना है कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें संभावित जोखिम और प्रतिबंधों के बारे में पता होना चाहिए.
चाबहार में 12 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी आईपीजीएल
चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहश्ती टर्मिनल के लॉन्ग टर्म ऑपरेशन के लिए बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट्स एंड मेरिटाइम ऑर्गेनाइजेशन ने इस अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. आईपीजीएल करीब 12 करोड़ डॉलर निवेश करेगा, जबकि 25 करोड़ डॉलर की राशि कर्ज के रूप में जुटाई जाएगी. यह पहला मौका है, जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा.
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2016 में भारत को मिला था अधिकार
यह 10 साल के लिए किया गया समझौता दोनों देशों के बीच साल 2016 में किए गए शुरुआती समझौते की जगह लेगा, जिसमें भारत को शाहिद बेहश्ती टर्मिनल के ऑपरेशन का अधिकार दिया गया था. हालांकि, उसे सालाना आधार पर रीन्यूअल करना होता था. भारत क्षेत्रीय व्यापार खासकर अफगानिस्तान से संपर्क बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है. यह बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा परियोजना के एक प्रमुख केंद्र के तौर पर पेश किया गया है.
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