Wednesday, December 18, 2024
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Vivad Se Vishwas Scheme 2024: विवादित टैक्स डिमांड के लिए जल्द दाखिल करें डिक्लेरेशन, वरना हाथ से निकल जाएगा मौका

हाईलाइट्स

Vivad Se Vishwas Scheme 2024: प्रत्यक्षकर विवाद के निपटारे के लिए आयकरदाताओं के लिए जरूरी जानकारी है. वह यह कि अब वे सरकार की विवाद से विश्वास योजना 2024 के तहत 31 दिसंबर 2024 तक अपना डिक्लेरेशन दाखिल कर सकते हैं. आयकर विभाग की ओर से जारी किए गए ‘अक्सर पूछे जाने वाले सवालों’ (एफएक्यू) का नया जवाब जारी किया गया है. इसमें आयकर विभाग ने कहा है कि विवाद से विश्वास योजना 2024 के लिए 22 जुलाई तक लंबित सभी अपीलें पात्र होंगी, चाहे उनका बाद में निपटान कर दिया गया हो या वापस ले लिया गया हो. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने ‘विवाद से विश्वास योजना, 2024’ के बारे में ‘अक्सर पूछे जाने वाले सवालों’ (एफएक्यू) का एक नया समूह जारी करते हुए यह स्पष्टीकरण दिया है.

बेहतर समझ और जागरूकता बनाने में मिलेगी मदद

सीबीडीटी ने कहा है कि उसे ‘विवाद से विश्वास योजना (वीएसवी) 2024’ योजना के बारे में कई सवाल मिले हैं और यह एफएक्यू ‘बेहतर जागरूकता और समझ’ बनाने में मदद करेगा. इस एफएक्यू में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी करदाता की प्रत्यक्षकर से संबंधित 22 जुलाई तक लंबित सभी अपीलें इस योजना के लिए पात्र होंगी. इस योजना की घोषणा वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 23 जुलाई, 2024 को की गई थी और इसे एक अक्टूबर को अधिसूचित किया गया था.

31 दिसंबर डिक्लेरेशन दाखिल करने की डेडलाइन

टैक्स कन्सलटेंसी फर्म नांगिया एंड कंपनी में साझेदार सचिन गर्ग ने कहा कि विवादित राशि की कम दर के भुगतान के लिए पात्र होने के लिए 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले डिक्लेरेशन दाखिल करना महत्वपूर्ण है, न कि उस तिथि से पहले भुगतान करना. विवादित राशि का भुगतान कर अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र मिलने की तारीख से 15 दिनों के भीतर करना होगा.

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ब्याज और जुर्माना हो जाएगा माफ

एकेएम ग्लोबल में प्रमुख (हस्तांतरण मूल्य-निर्धारण और मुकदमा) मनीष गर्ग ने कहा कि नया एफएक्यू मुख्य रूप से पात्रता मानदंड और योजना के तहत देय राशि की गणना के बारे में अस्पष्टता दूर करने की कोशिश है. यदि करदाता 31 दिसंबर, 2024 से पहले डिक्लेरेशन दाखिल करते हैं, तो उन्हें विवादित टैक्स डिमांड का 100% भुगतान करना होगा. ऐसे मामलों में ब्याज और जुर्माना माफ कर दिया जाएगा. जिन मामलों में डिक्लेशन 1 जनवरी, 2025 को या उसके बाद की जाती है, उनमें विवादित टैक्स डिमांड का 110% करदाता को चुकाना होगा.

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