प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के विरुद्ध अंतराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इसे ‘वर्ल्ड ड्रग डे’ भी कहा जाता है. इस दिवस को मनाने का संकल्प सात दिसंबर, 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा लिया गया था. इसे मनाने का उद्देश्य नशीले पदार्थों से मुक्त समाज बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने और सहयोग को मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्प व्यक्त करना है. इस दिवस के लिए हर वर्ष एक थीम का चुनाव किया जाता है. वर्ष 2024 के लिए थीम है ‘द एविंडेंस इज क्लीयर : इन्वेस्ट इन प्रीवेंशन.’ इस दिवस के अवसर पर UNODC ने World Drug Report 2023 जारी की है.
इंजेक्शन के जरिये नशा लेने वालों की संख्या में वृद्धि
वर्ल्ड ड्रग डे- 26 जून 2024- के अवसर पर यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) ने वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2023 जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार अवैध मादक पदार्थों की आपूर्ति और तेजी से सक्रिय तस्करी नेटवर्क वैश्विक संकटों को निरंतर बढ़ा रहे हैं तथा स्वास्थ्य सेवाओं एवं कानून प्रवर्तन प्रतिक्रियाओं (law enforcement responses) को चुनौती दे रहे हैं. रिपोर्ट की मानें, तो विभिन्न कारणों से इंजेक्शन के जरिये नशीले पदार्थ लेने वालों की संख्या पहले लगाये गये अनुमान से अधिक हो गयी है.
- वर्ष 2021 में इंजेक्शन का उपयोग कर मादक पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों का वैश्विक अनुमान 1.32 करोड़ (13.2 मिलियन) है, जो पहले के अनुमान से 18 प्रतिशत अधिक है.
- वैश्विक स्तर पर, 2021 में 29.6 करोड़ (296 मिलियन) से अधिक लोगों ने नशीले पदार्थों का सेवन किया था, जो पिछले दशक की तुलना में 23 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
ड्रग के सेवन में आगे है युवा जनसंख्या
यूएनओडीसी की हालिया रिपोर्ट से प्रत्येक देश-समाज को चिंतित होने की जरूरत है. क्योंकि इसके अनुसार, मादक द्रव्यों के सेवन में युवा काफी आगे हैं. और इसी कारण कई क्षेत्रों में मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले विकारों से भी वे गंभीर रूप से सबसे अधिक प्रभावित हैं. अफ्रीका में उपचाराधीन 70 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं.
पांच में से महज एक रोगी का हो सका उपचार
रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि मादक द्रव्यों के सेवन के कारण होने वाले विकारों से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़कर 3.95 करोड़ (39.5 मिलियन) हो गयी है. इस तरह नशे के कारण विकारों से ग्रस्त होने वाले लोगों की संख्या में बीते 10 वर्षों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. इतना ही नहीं, नशीले पदार्थों के सेवन के कारण विकारों से जूझ रहे रोगियों की बड़ी संख्या उपचार से वंचित रह गयी है. मूल्यांकन की अवधि के दौरान पांच में से महज एक रोगी का ही उपचार संभव हो सका, क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में उपचार तक लोगों की पहुंच ही नहीं थी.