विवाहित महिलाओं को सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए.
महिलाएं इस खास अवसर पर लाल और हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार भी करती हैं.
हरतालिका व्रत और पूजा शुरू करने से पहले व्रत करना चाहिए और संकल्प भी लेना चाहिए.
घर के मंदिर में एक चबूतरे या वेदी पर भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की हस्तनिर्मित मूर्तियां स्थापित करें.
आपको बता दें आप हरतालिका पूजा के लिए पंडित को बुलाकर या खुद भी करवा सकते हैं.
अब सबसे पहले भगवान गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा शुरू करें. अब वेदी को केले के पत्तों, फूलों से सजाएं और मूर्तियों के माथे पर कुमकुम लगाएं.
भगवान शिव और देवी पार्वती की षोडशोपचार पूजा शुरू करें. षोडशोपचार पूजा 16 चरणों वाली पूजा अनुष्ठान है जो आवाहन से शुरू होकर नीराजन पर समाप्त होती है.
देवी पार्वती के लिए अंग पूजा शुरू करें.
हरतालिका व्रत कथा का पाठ करें.
व्रत कथा पूरी होने के बाद माता पार्वती को सुहाग के आभूषण अर्पित करें. व्रत रखने वाले को रात्रि जागरण करना चाहिए. व्रती पूरी रात भजन-कीर्तन करते हैं. वे विवाहित महिला को दान-कर्म करते हैं और अगली सुबह उसे खाने-पीने की चीजें, श्रृंगार सामग्री, कपड़े, गहने, मिठाई, फल आदि देते हैं.