बृहस्पति हंस महापुरुष योग बनाते हैं.कुंडली में ये योग मान-प्रतिष्ठा में निरंतर वृद्धि कराता है.
Hans Mahapurush Yoga In Kundali : ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का बड़ा ही महत्व बताया गया है. आपकी जन्म कुंडली, जिसमें आपके भाग्य का पूरा लेखा-जोखा होता है. इसमें बनने वाले योग आपका कॅरियर निश्चित करती हैं. इसमें बनने वाले शुभ और अशुभ योग बताते हैं कि आप किस दिशा में उन्नति पाएंगे और किस दिशा में दुर्गती. ऐसे कुछ योग होते हैं, जो बताते हैं कि आप ज्ञानी हैं या प्रसिद्धि पाने वाले. ज्योतिषियों की मानें तो जन्म कुंडली का सबसे शक्तिशाली योग हंस महापुरुष को माना जाता है. यह योग बृहस्पति ग्रह के कारण बनता है. इस योग का निर्माण कैसे होता है और किस बात को दर्शाता है, आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
इस प्रकार होता है हंस महापुरुष योग का निर्माण
यदि आपकी कुंडली के केंद्र भावों में बृहस्पति अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि या स्वराशि में से किसी भी राशि में स्थित होते हैं तो हंस महापुरुष योग का निर्माण होता है. वहीं यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में यानी कि कर्क राशि में स्थित हों या अपनी स्वराशि मीन राशि में स्थित हों तो बृहस्पति द्वारा इस महायोग का निर्माण होता है.
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ऐसे मिलते हैं जबरदस्त परिणाम
जैसा कि बताया गया है कि बृहस्पति हंस महापुरुष योग बनाते हैं. यदि आपकी कुंडली में यह योग है तो आपकी मान-प्रतिष्ठा में निरंतर वृद्धि होती है. यदि आप शिक्षा के क्षेत्र में जाते हैं तो सफलता पाते हैं. यदि आप प्रवचन करते हैं तो आपको लोग सुनते हैं. यह योग आपको ज्ञानी बनाता है, जिससे लोग आप से सलाह लेते हैं. इसका उत्तम फल 50 से 60 वर्ष के बीच में मिलता है.
योग के प्रभाव से इन क्षेत्रों में होती रुचि
यदि जब शुक्र, चन्द्र और बुध जैसे ग्रह बृहस्पति पर दृष्टि कर रहे हों तो व्यक्ति असाधारण गुणों से सम्पन्न होता है. हालांकि, इतने भर से काम नहीं चलता. यह देखा जाना भी आवश्यक होता है कि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति क्या है? लेकिन हंस महापुरुष योग जिस भी व्यक्ति की कुंडली में होता है, वह व्यक्ति शिक्षण-प्रशिक्षण, लेखन-मुद्रण, वित्त, बैंकिंग, सामाजिक नेतृत्व, धर्म, ज्योतिष व अन्य वैदिक विद्याओं जैसे क्षेत्रों में रुचि लेते हैं और प्रसिद्धि भी पाते हैं.
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इस स्थिति में नहीं मिलेगा योग का फल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि नवांश कुंडली में देव गुरु बृहस्पति अपनी नीच राशि में अथवा शत्रु राशि में हैं तो जन्म कुंडली में हंस महापुरुष बनने के बावजूद इसका फल व्यक्ति को नहीं मिलता. बल्कि उनमें शून्यता आने लगती है. ऐसी स्थिति में कई बार तो इस महायोग का पूरे जीवन में फल नहीं मिल पाता, इसलिए हंस महापुरुष बनना काफी नहीं है. इसके लिए कई बिंदुओं पर विचार करना भी जरूरी है.
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FIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 11:42 IST