गुरु प्रदोष व्रत जुलाई महीने का अंतिम प्रदोष व्रत है, जो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है. यह आषाढ़ का भी अंतिम प्रदोष व्रत होगा. हर माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं. इसमें भगवान शिव शंकर की पूजा करने का विधान है. प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद शुरू होती है. उस दिन आप चाहें तो रुद्राभिषेक भी करा सकते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि गुरु प्रदोष व्रत कब है? प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त और महत्व क्या है?
किस दिन है गुरु प्रदोष व्रत?
पंचांग के अनुसार देखा जाए तो आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई को रात 8 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी. यह तिथि अगले दिन 19 जुलाई को शाम 7 बजकर 41 मिनट पर खत्म हो जाएगी. प्रदोष के पूजा मुहूर्त के आधार पर गुरु प्रदोष व्रत 18 जुलाई को रखा जाएगा. यह व्रत गुरुवार के दिन है, इसलिए इसका नाम गुरु प्रदोष व्रत है.
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गुरु प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
गुरु प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए आपको 39 मिनट का ही शुभ समय प्राप्त होगा. शिव पूजा का शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 44 मिनट से रात 9 बजकर 23 मिनट तक है.
ब्रह्म योग और ज्येष्ठा नक्षत्र में गुरु प्रदोष व्रत
18 जुलाई को गुरु प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म योग और ज्येष्ठा नक्षत्र है. उस दिन शुक्ल योग सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक ही है. उसके बाद से ब्रह्म योग होगा, जो 19 जुलाई को प्रात: 4 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. उस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र व्रत वाले दिन प्रात:काल से लेकर 19 जुलाई को 3 बजकर 25 मिनट तक है.
प्रदोष व्रत यानि त्रयोदशी तिथि में रवि योग भी बन रहा है. रवि योग 19 जुलाई को 03 बजकर 25 एएम से सुबह 5 बजकर 35 एएम तक रहेगा.
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गुरु प्रदोष व्रत पर रुद्राभिषेक का समय
यह गुरु प्रदोष व्रत शिव जी के रुद्राभिषेक के लिए भी अच्छा है. इस दिन आप रुद्राभिषेक करा सकते हैं. उस दिन शिव का वास कैलाश पर प्रात: काल से लेकर रात 08:44 पी एम तक रहेगा. उसके बाद उनका वास नंदी पर होगा.
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
गुरु प्रदोष व्रत रखकर शिव पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. शिव कृपा से भक्तों के सभी दुखों और कष्टों का निवारण हो जाता है. इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होगा और दांपत्य जीवन की समस्याएं खत्म होती हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 11:04 IST