GST: लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस कराने वालों को जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है. वह यह है कि लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) की दरें जल्द ही कम हो सकती हैं. खबर है कि लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दरों के बारे में सुझाव देने वाले दो मंत्री समूहों (जीओएम) की बैठक शनिवार 19 अक्टूबर 2024 को होने जा रही है. संभावना यह है कि जीओएम की इस बैठक में लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी दरें घटाने पर फैसला किया जा सकता है. जीओएम के इस फैसले से देश के लाखों बुजुर्गों, मिडिल क्लास और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों को फायदा होगा.
लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर घट सकती हैं जीएसटी की दरें
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को जीओएम की बैठक के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अगुवाई वाला जीओएम इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी की दर को 18% से घटाकर कम करने पर जीएसटी परिषद और सरकार को सुझाव देगा. सम्राट चौधरी की अगुवाई में एक दूसरे जीओएम की भी बैठक होगी, जिसे जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित किया गया था. इस बैठक में 12% स्लैब को कम करने, अधिक वस्तुओं को 5% जीएसटी के दायरे में लाने, हेल्थ और मेडिसिन से संबंधित वस्तुओं, साइकिल और बोतलबंद पानी पर जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर चर्चा होगी.
एयरेटेड पानी पर घट सकता है जीएसटी
रिपोर्ट में कहा गया है कि सम्राट चौधरी की अगुवाई वाला यह जीओएम 12% और 18% की दरों को आपस में मिलाने की संभावना पर भी चर्चा कर सकता है. 6 सदस्यीय समूह में आम लोगों के इस्तेमाल वाली वस्तुओं पर कर की दर कम करने से राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए गैस-युक्त (एयरेटेड) पानी और पेय पदार्थों जैसी वस्तुओं पर दरें बढ़ाने पर चर्चा होगी. फिलहाल इन वस्तुओं पर जीएसटी की चार दरें 5%, 12%, 18% और 28% निर्धारित हैं. जीएसटी के तहत आवश्यक वस्तुओं को या तो कर से छूट दी जाती है या फिर सबसे कम स्लैब में रखा जाता है. वहीं विलासिता और नुकसानदेह वस्तुओं को सबसे ऊंचे कर स्लैब में रखा जाता है.
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जीएसटी परिषद ने जीओएम को दी है जिम्मेदारी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जीएसटी परिषद ने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर जीएसटी की दर को 18% से कम करने की संभावना तलाशने के लिए भी एक जीओएम गठित किया था. इस समूह को अक्टूबर के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. यह जीओएम बुजुर्गों, मिडिल क्लास और मानसिक बीमारी वाले लोगों जैसी विभिन्न श्रेणियों के लिए व्यक्तिगत, समूह, पारिवारिक फ्लोटर और अन्य चिकित्सा बीमा सहित हेल्थ और मेडिकल इंश्योरेंस की टैक्स दर के बारे में सुझाव देगा. पिछले वित्त वर्ष में केंद्र और राज्यों ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी लगाकर 8,262.94 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा किया था. वहीं, हेन्थ री-इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी के कारण 1,484.36 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे.
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