हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो भी व्यक्ति धरती पर पाप कर्म करता है, उसे मृत्यु के बाद उसकी सजा मिलती है. यमदूत उसकी आत्मा को यमराज के सामने पेश करते हैं, चित्रगुप्त उसके कर्मों का लेखा-जोखा पेश करते हैं, उसके आधार पर यह तय होता है कि उसे किस नरक में भेजा जाए और उसकी सजा क्या होगी. दंड स्वरूप उसे आगे किस योनि में जन्म लेना होगा. यमराज के दरबार में जीव के हर पाप कर्म के लिए दंड का प्रावधान है. उससे कोई बच नहीं सकता है. इस वजह से कहा जाता है कि व्यक्ति को अच्छे कर्म करने चाहिए और सत्य बोलना चाहिए. गुरुड़ पुराण के आधार पर जानते हैं कि मनुष्य के पाप कर्मों के लिए कौन-कौन सी सजा मिलती है?
पाप कर्मों की सजा क्या है?
1. जो व्यक्ति सोने की चोरी करता है, उसे कीड़ा, कीट-पतंगे की योनि में जन्म लेने का दंड मिलता है. वह सूकर नामक नरक में जाता है. वहीं जो रत्नों की चोरी करता है, उसे सबसे निकृष्ट योनि में जन्म लेना पड़ता है.
2. जो धान्य यानी अनाज की चोरी करता है, वह चूहे की योनि में जन्म लेता है. फल की चोरी करने वाला बंदर योनि में जन्म लेता है.
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3. घर के सामान की चोरी करने वाला गिद्ध, गाय की चोरी करने पर गोह, आग की चोरी करने वाला बगुला, मधु की चोरी करने वाला मुधमक्खी की योनि प्राप्त करता है.
4. जो मनुष्य पतिपरायण अपनी पत्नी का त्याग कर देता है, वह अगले जन्म में दुर्भाग्यशाली होता है. मित्र की हत्या करने वाला उल्लू की योनि में जन्म लेता है.
5. किसी की शादी में विघ्न डालने वाला पापी मच्छर की योनि में जन्म लेता है. जल की चोरी करने वाला चातक की योनि में जन्म लेता है.
6. किसी को दान का वादा करके वह वस्तु दान नहीं करता है तो वह अगले जन्म में उसे सियार की योनि प्राप्त होती है.
7. जो लोग दूसरों की झूठी निंदा करते हैं, उनको अगले जन्म में कछुए की योनि प्राप्त होती है. झूठ बोलने वाला तप्तकुंभ नरक में जाता है. जो व्यक्ति किसी जल स्रोत को नष्ट करता है, वह अगले जन्म में मछली की योनि में जाता है.
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8. जो व्यक्ति दूसरे के मुंह का निवाला छीन लेता है, वह अगले जन्म में मंदबुद्धि होता है. जो लोग संन्यास आश्रम का त्याग कर देते हैं, वे पिशाच होता है.
9. जो गो हत्या, भ्रूण हत्या करता है, किसी के घर में आग लगाता है, उसे रोध नामक नरक में यातनाएं सहनी होती हैं. क्षत्रिय और वैश्य की हत्या करने वाला ताल नरक में जाता है.
10. जो गुरु की निंदा और अपमान करता है, उसे मृत्यु के बाद शबल नाम के नरक में कष्ट भोगना पड़ता है. जो दूसरों को हानि पहुंचाता है, उसे कृमिभक्ष नरक में स्थान मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : June 13, 2024, 12:10 IST