Saturday, November 16, 2024
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Ganesh Mantra: जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप

Ganesh Mantra: हमारे जीवन में अनेक समस्याएं और कष्ट समय-समय पर आते रहते हैं. चाहे वह आर्थिक संकट हो, स्वास्थ्य समस्याएँ हों, पारिवारिक तनाव हो, या फिर मानसिक परेशानियां, हर इंसान किसी न किसी तरह की कठिनाईयों से जूझता रहता है. ये समस्याएँ कभी-कभी इतनी गहरी हो जाती हैं कि इंसान निराशा के अंधकार में डूबने लगता है. ऐसे में हमारे प्राचीन शास्त्रों में बताए गए उपाय हमारे जीवन में आशा और शांति की किरण लेकर आते हैं.

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शिवपुराण में गणपति जी के विशेष मंत्रों का उल्लेख किया गया है, जिनके माध्यम से इंसान अपने जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा पा सकता है. गणपति जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, यानी वे सभी विघ्नों और बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं. अगर आप अपने जीवन में बार-बार आने वाली समस्याओं से त्रस्त हैं, तो आप कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (पूर्णिमा के बाद आने वाली चौथ) के दिन एक विशेष अनुष्ठान कर सकते हैं. यह अनुष्ठान बेहद सरल है और इसका प्रभाव अचूक है.

क्या करना चाहिए ?

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन सुबह-सुबह स्नान करके गणपति जी का ध्यान करें. उनका स्मरण करते हुए, अपने जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और कष्टों के नाश की प्रार्थना करें. इसके बाद नीचे दिए गए छः मंत्रों का सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करें. इन मंत्रों के माध्यम से गणपति जी से विनती करें कि वे आपके जीवन से सभी बाधाओं और कष्टों को दूर करें.

छः मंत्र इस प्रकार हैं

ॐ सुमुखाय नम: गणपति जी का मुख सदा हर्षित और सुंदर होता है. इस मंत्र के माध्यम से प्रार्थना करें कि हमारे चेहरे पर भी सच्ची भक्ति और आंतरिक सुंदरता बनी रहे, ताकि हम जीवन की सभी समस्याओं का सामना धैर्य और शांति से कर सकें.

ॐ दुर्मुखाय नम: इस मंत्र का अर्थ है कि जब कोई आसुरी या नकारात्मक प्रवृत्ति वाला व्यक्ति हमें सताने का प्रयास करे, तो गणपति जी भैरव रूप में हमारी रक्षा करें. यह मंत्र हमारे जीवन से दुष्ट शक्तियों और नकारात्मकता को दूर करने में सहायक है.

ॐ मोदाय नम: गणपति जी सदा प्रसन्नचित्त रहते हैं. उनका स्मरण करने से हमारी भी मन:स्थिति प्रसन्न और शांत रहती है. यह मंत्र हमारे जीवन में मानसिक शांति और संतोष लाने में सहायक है.

ॐ प्रमोदाय नम: इस मंत्र के द्वारा हम गणपति जी से यह प्रार्थना करते हैं कि जैसे वे दूसरों को आनंदित करते हैं, वैसे ही वे हमें भी प्रमोदी (आनंदित) बनाएं. इस मंत्र से हम आलस्य और निष्क्रियता को दूर करते हैं, क्योंकि आलसी व्यक्ति को लक्ष्मी (संपत्ति और समृद्धि) त्याग देती है. जो प्रमोदी होता है, उसे लक्ष्मी का वास मिलता है.

ॐ अविघ्नाय नम: इस मंत्र का उद्देश्य है कि हमारे जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ और रुकावटें दूर हो जाएं. गणपति जी हमारे सभी कार्यों में सफलता दिलाएं और हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाएं.

ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: इस अंतिम मंत्र का अर्थ है कि जो गणपति जी विघ्नों का नाश करते हैं, उनसे प्रार्थना है कि हमारे जीवन के सभी विघ्नों का भी अंत हो और हम बिना किसी बाधा के अपनी प्रगति की राह पर आगे बढ़ सकें.

प्रयोग की विधि

इन मंत्रों का जाप सुबह के समय शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर करें. गणपति जी के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और उन्हें पुष्प अर्पित करें. जाप करते समय अपने मन को एकाग्र रखें और गणपति जी के स्वरूप का ध्यान करें. आप चाहे तो इस अनुष्ठान को नियमित रूप से भी कर सकते हैं, लेकिन कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का दिन विशेष रूप से लाभकारी होता है.

लाभ

यह मंत्र प्रयोग न केवल आपके जीवन से कष्टों को दूर करता है, बल्कि आपके मन, मस्तिष्क और आत्मा में भी शांति का संचार करता है. जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए यह हमें मानसिक शक्ति और धैर्य प्रदान करता है. इन मंत्रों का नियमित जाप हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है और हमारे चारों ओर एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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