Thursday, December 19, 2024
HomeReligionGanesh Jee Ki Arti: आज बुधवार को ऐसे करें गणेश जी की...

Ganesh Jee Ki Arti: आज बुधवार को ऐसे करें गणेश जी की आरती, इस मंत्रों का करें जाप

Ganesh Jee Ki Arti: गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है. सनातन धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश पूजन से होती है. यह मान्यता है कि इससे व्यक्ति के सभी कार्य बिना किसी विघ्न के संपन्न होते हैं. बुधवार का दिन विशेष रूप से गणेश जी को समर्पित है. इस दिन विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा और व्रत करने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी संकटों को दूर कर देते हैं. बुधवार का दिन गणेश जी की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. यहां देखें गणेशजी की आरती कैसे करें

गणेश आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी .
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती (माता पार्वती के मंत्र), पिता महादेवा ॥

Vastu Tips: सुबह उठते ही ना देखें ये चीजें, हो जाएगा दिन खराब

Puja Aarti Rules: क्यों जरूरी है हर पूजा के अंत में आरती करना? जानें इस वक्त घी का दीपक जलाने के लाभ

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा .
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा .

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी .
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

Budhwaar Vrat Puja: बुधवार के दिन ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा, बप्पा हर लेंगे सभी कष्ट

इस मंत्रों का करें जाप

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ.
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा..

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
एकदंताय विद्‍महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular