Thursday, December 19, 2024
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Budget 2024 : लोकलुभावनवाद नहीं, समावेशी नीतियों पर ध्यान संतुलित और सधा हुआ बजट

Budget 2024 : तेईस जुलाई, 2024 को पेश किये गये बजट की खासियत यह है कि यह मोदी सरकार की प्राथमिकताओं पर केंद्रित है. निर्मला सीतारमण ने बहुत स्पष्ट रूप से सरकार की नौ प्राथमिकताएं बतायी हैं, जैसे कृषि में उत्पादकता और लचीलापन, रोजगार और कौशल, समावेशी मानव संसाधन, विकास और सामाजिक न्याय, विनिर्माण और सेवाएं, शहरी विकास, ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढांचा, नवाचार, अनुसंधान और विकास तथा अगली पीढ़ी के सुधार.

प्रधानमंत्री मोदी से पूर्व, हम अभी तक केंद्र सरकार के बजट देखते थे, जो लोकलुभावनवाद से प्रेरित थे, क्योंकि वे अगले चुनाव में वोटों पर नजर गड़ाये हुए थे. लेकिन मोदी सरकार पहले भी लोकलुभावनवादी के रूप में देखे जाने से बचती रही है और इसके बजाय विकास और समावेशी नीतियों पर ध्यान केंद्रित करती रही है. इस तरह, यह बजट भी उसी राह पर है.

हम समझते हैं कि रोजगार दो स्रोतों से आता है. पहला, नौकरी और दूसरा स्वरोजगार. स्वरोजगार का लाभ यह है कि स्वरोजगार करने वाले लोग नौकरी के सृजनकर्ता भी होते हैं. इस संदर्भ में बजट में दो बड़ी घोषणाएं हैं. एक, बिना गारंटी वाले मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ा कर 20 लाख करने से संबंधित है. स्टार्ट-अप को भी एंजल टैक्स के माध्यम से कुछ राहत दी गयी है. दूसरी योजना रोजगार के संबंध में है और वह भी संगठित क्षेत्र में. इसके लिए तीन योजनाएं शुरू की गयी हैं. एक प्रमुख योजना अप्रेंटिसशिप योजना है, जिसके तहत एक अप्रेंटिस को 5000 रुपये दिये जायेंगे. इस योजना के वित्तपोषण के लिए कॉरपोरेट सीएसआर फंड का उपयोग कर सकते हैं.

यह योजना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे एक तरफ बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा, तो दूसरी तरफ व्यवसायों के लिए कुशल कर्मचारियों की कमी भी दूर होगी. यदि यह योजना सफल होती है, तो इसे आगे बढ़ाया जा सकता है. छोटे उद्योगों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है. फिलहाल सरकार ने केवल बड़े उद्योगों को ही इस योजना में शामिल किया है और इसका कारण यह है कि सीएसआर के माध्यम से जो पैसा आता है, वह इसमें इस्तेमाल हो पायेगा. इसके अलावा कंपनियों को रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से पहली नौकरी का पहला वेतन सरकार द्वारा देने का वादा भी इस बजट में किया गया है. नियोक्ता को इपीएफओ में प्रोविडेंट फंड जमा करने हेतु सहयोग भी दिया जायेगा.

बजट के बारे में सामान्य तौर पर माना जाता है कि यह सरकार की नीतियों का आईना होता है. बीते 10 वर्षों में सरकार जिन नीतियों पर चली है, उस कारण अर्थव्यवस्था को गति मिली है. चाहे वह संवृद्धि की बात हो या, महंगाई पर रोक लगाने की, सरकार सफल रही है. क्योंकि पिछली सरकार के 10 वर्षों की औसत महंगाई की दर 8.6 प्रतिशत थी, जो इस सरकार के समय लगभग छह प्रतिशत है. इन बातों से उत्साहित होकर सरकार ने इस बार के बजट में कई ऐसे प्रावधान किये हैं जो विकसित राष्ट्र बनने की प्रक्रिया के लिए जरूरी हैं.

क्योंकि बार-बार कहा गया है कि 2047 तक हमें विकसित राष्ट्र बनना है. किसानों की बात करें, तो किसान क्रेडिट कार्ड, सब्जी उत्पादन एवं आपूर्ति शृंखला के लिए एफपीओ का गठन और डेयरी क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन समेत तमाम उपाय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट में दिखाई देते हैं. जहां तक गरीबों की बात है तो आवास उपलब्ध कराने को लेकर सरकार ने पहले ही घोषणा की थी कि ग्रामीण क्षेत्र में वह तीन करोड़ और शहरी क्षेत्र में एक करोड़ आवास मुहैया करायेगी, यह अच्छा कदम है. आप कल्पना कीजिए कि जो कच्चे घर में रह रहा है, यदि उसे पक्का घर मिल जाए, तो निश्चित तौर उसके जीवन स्तर में बदलाव आयेगा. जीवन स्तर में बदलाव से उस व्यक्ति के कार्य क्षमता में भी वृद्धि होगी, जो बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी. संभवत: इन्हीं सब कारणों से बीते वर्षों में भारत की बहुआयामी गरीबी में काफी कमी आयी है.

राज्यों की बात करें, तो आंध्र प्रदेश और बिहार की मदद को लेकर कदम उठाने की बात भी कही गयी है. आंध्र प्रदेश को 15,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की बात की गयी है. जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना अलग हुए थे, तो आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के लागू करने की बात हुई थी, आंध्र के लिए अलग राजधानी बनाने की बात भी तब हुई थी, जिसके लिए केंद्र सरकार की सहायता चाहिए. उसके लिए भी अतिरिक्त राशि देने की बात कही गयी है. बिहार के लिए बजट में 26,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. बजट में बिहार के लिए खास पेशकश के तहत बोधगया के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की बात की गयी है, ताकि अधिक लोग वहां जा सकें. इस तरह बोधगया में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास हुआ है.

बिहार को पैसा देने की बात बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य प्रति व्यक्ति आय में न केवल नीचे है, बल्कि विकास में भी पिछड़ा हुआ है. इतना ही नहीं, यह लंबे समय से बाढ़ की त्रासदी से गुजर रहा है. जब से नेपाल में सत्ता परिवर्तन हुआ है, तब से लगातार नेपाल सरकार पानी छोड़ देती है, जिससे नेपाल से लगते बिहार के क्षेत्र हर वर्ष बाढ़ में डूब जाते हैं, जिससे लोगों को बेघर होना पड़ता है, जिसका असर उनकी रोजी-रोटी पर पड़ता है. ऐसे में बाढ़ नियंत्रण के लिए कोसी इंट्रा स्टेट लिंक समेत अन्य परियोजनाओं को लेकर बजट में विशेष प्रावधान करना अभिनंदनीय कदम माना जाना चाहिए. महिलाओं के रोजगार वृद्धि को लेकर भी प्रावधान किये गये हैं. कुल मिलाकर, यह एक संतुलित व सधा हुआ बजट है, जिसमें मध्यम वर्ग, गरीब, किसान, युवा और महिला, सभी को साधा गया है.


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