Monday, November 18, 2024
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कब है दशहरा? किस समय होगा रावण दहन? पंडित जी से जानें सही तारीख, शस्त्र पूजा मुहूर्त और महत्व

दशहरा का त्योहार हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन देवी अपराजिता की पूजा करते हैं. शाम के समय में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण वध और लंका पर विजय के लिए भगवान श्रीराम ने देवी अपराजिता की पूजा की थी. जो व्यक्ति दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा करता है, उसके अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. इस साल दशहरा पर दो शुभ योग बन रहे हैं. दशहरा पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि दशहरा कब है? दशहरा पर रावण दहन का समय क्या है? दशहरा का महत्व क्या है?

दशहरा 2024 तारीख
दृक पंचांग के अनुसार, इस साल दशहरा के लिए जरूर अश्विन शुक्ल दशमी तिथि 12 अक्टूबर शनिवार को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी. दशमी तिथि 13 अक्टूबर रविवार को सुबह 9 बजकर 8 मिनट तक मान्य रहेगी. दशमी तिथि में रावण दहन के मुहूर्त के आधार पर देखा जाए तो इस साल दशहरा का त्योहार 12 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा.

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2 शुभ योग में मनेगा दशहरा 2024
12 अक्टूबर को दशहरा के दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. रवि योग दशहरा को पूरे दिन रहेगा, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 6 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगा, जो रात 9 बजकर 8 मिनट तक रहेगा. रवि योग में सभी प्रकार के दोष दूर होंगे और सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल होने की उम्मीद अधिक रहेगी.

दशहरा 2024 शस्त्र पूजा का शुभ समय
दशहरा के दिन शस्त्र पूजा करने की मान्यता है. दशहरा पर हर साल विजय मुहूर्त में शस्त्र पूजा करते हैं. इस बार दशहरा पर शस्त्र पूजा करने का शुभ समय दोपहर में 2 बजकर 3 मिनट से दोपहर 2 बजकर 49 मिनट तक है.

दशहरा 2024 रावण दहन मुहूर्त
इस बार दशहरा के दिन रावण दहन का मुहूर्त सूर्यास्त के बाद यानी शाम को 5 बजकर 54 मिनट के बाद से होगा, जो ढाई घंटे तक रहेगा. रावण दहन का मुहूर्त सूर्यास्त से लेकर ढाई घंटे तक रहता है, रावण दहन प्रदोष काल में ही करते हैं. सूर्यास्त के बाद जब अंधेरा होगा, उस समय से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन होगा.

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दशहरा का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने अश्विन शुक्ल दशमी को लंका के अधर्मी राजा रावण का वध किया था और माता सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. इस प्रकार से असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत हुई थी. इस उपलक्ष्य में हर साल अश्विन शुक्ल दशमी को दशहरा का त्योहार मनाते हैं और रावण का पुतला दहन करते हैं.

आज के परिदृश्य में हर साल नवरात्रि के प्रारंभ से रामलीला का मंचन होता है और दशहरा के दिन रावण वध यानी रावण दहन के साथ उसका समापन होता है. दशहरा के अवसर पर देशभर में मेलों का आयोजन भी किया जाता है.

Tags: Dharma Aastha, Dussehra Festival, Ravana Dahan, Religion


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