Saturday, October 19, 2024
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श्री दुर्गा सप्तशती में 13 अध्याय, हर एक का अलग महत्व, नवरात्रि में पाठ से मिलेंगे ये फल

Durga Saptashati Fayde: श्री दुर्गा सप्तशती हिंदू धर्म का सर्वमान्य ग्रन्थ है. इसमें भगवती की कृपा के सुन्दर इतिहास के साथ ही बड़े-बड़े गूढ़ साधन, रहस्य भरे पडे हैं. कर्म, भक्ति और ज्ञान की त्रिविध मन्दाकिनी बहाने वाला यह ग्रन्थ भक्तों के लिये कामना कल्पवृक्ष के समान है. सकाम भक्त श्री दुर्गा सप्तशती के उपासना से फल देने वाला दुर्लभतम वस्तु या स्थिति सहज ही प्राप्त करते हैं और निष्काम भक्त परम फल स्वरुप मोक्ष को पाकर संतुष्ट होते हैं. श्री दुर्गा सप्तशती पाठ ‘मार्कण्डेय पुराण’ में 81वें अध्याय से 94वें अध्याय तक विस्तारपूर्वक वर्णन दिया गया है. श्री दुर्गासप्तशती में 13 अध्याय 700 श्लोक से माँ दुर्गा वर्णन किया गया है. इस सप्तशती पाठ में 13 अध्याय, जिन्हे तीन चरित्र भी कहते है. ‘सप्तशती’ का अर्थ सात सौ छंदों का समूह होता है.

श्री दुर्गा सप्तशती का नवरात्रि के दिनों में पाठ किया जाता है. इसके हर अध्याय और हर श्लोक का एक अलग महत्व है, इसका पाठ करने से बड़े ही चमत्कारी फल प्राप्त होते हैं. इसका पाठ सदैव अपनी एवं लोक कल्याण की कामना से करना चाहिए. किसी व्यक्ति के बारे में गलत मानसिकता के साथ इसका पाठ करने से इसके दुष्परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं. आज से नवरात्रि में प्रतिदिन हम आपको इसके प्रत्येक अध्याय का विस्तार से वर्णन बताएंगे.

दुर्गा सप्तशती का पाठ कब करें
दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत ही तांत्रिक पाठ है, इसको रात्रिकाल में माता के मंदिर अथवा घर में तस्वीर के सामने साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करके, मानसिक शुद्धि करके, आसान पर बैठ कर करें. इसका पाठ प्रातः काल अथवा रात्रि काल में करें.

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श्री दुर्गा सप्तशती के अलग-अलग अध्याय का महत्व

प्रथम अध्याय:

  1. इसके पाठ से समस्त चिंतायें दूर होती हैं.
  2. इससे शत्रु भय दूर होता है और शत्रुओं की बाधा शांत होती है.

द्वितीय और तृतीय अध्याय:

  1. इसके पाठ से मुकदमेबाजी में सफलता मिलती है.
  2. झूठे आरोपों से मुक्ति मिल सकती है.

चतुर्थ अध्याय:

  1. इसके पाठ से अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति होती है.
  2. इससे देवी की भक्ति भी प्राप्त होती है.

पंचम अध्याय:

  1. इसके पाठ से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.
  2. इससे भय, बुरे सपने और तंत्र मंत्र की बाधा का नाश होता है.

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छठा अध्याय:

  1. इसके पाठ से बड़ी से बड़ी बाधा का नाश किया जा सकता है.

सप्तम अध्याय:

  1. इसके पाठ से विशेष गुप्त कामनाओं की पूर्ति होती है.

अष्टम अध्याय:

  1. इसके पाठ से वशीकरण की शक्ति मिलती है.
  2. साथ ही साथ नियमित रूप से धन लाभ होता है.

नवम अध्याय:

  1. इसके पाठ से संपत्ति का लाभ होता है.
  2.  साथ ही साथ खोये हुए व्यक्ति का पता मिलता है.

दसवां अध्याय:

  1. इसके पाठ से भी गुमशुदा की तलाश होती है.
  2. अपूर्व शक्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

ग्यारहवां अध्याय:

  1. इसके पाठ से हर तरह की चिंता दूर हो जाती है.
  2. इससे व्यापार में खूब सफलता भी मिलती है.

बारहवां अध्याय:

  1. इसके पाठ से रोगों से छुटकारा मिलता है.
  2. साथ ही नाम, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है

तेरहवां अध्याय:

  1. इसके पाठ से देवी की कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है.
  2. व्यक्ति की हर तरह के संकट से रक्षा होती है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Navratri Celebration, Navratri festival


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