Monday, December 16, 2024
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Durga Puja 2024 Sindoor Khela: विजयादशमी के दिन विवाहित महिलाएं मनाती है सिंदूर खेला, जानें क्या है इसका महत्व

Durga Puja 2024 Sindoor Khela: शारदीय नवरात्र का पर्व पूरे देश में अत्यंत उत्साह के साथ मनाया जाता है. दुर्गा पूजा के समय एक विशेष दृश्य देखने को मिलता है. पश्चिम बंगाल में इस उत्सव का आयोजन बड़ी संख्या में लोग करते हैं. दुर्गा पूजा के अंतिम दिन सिंदूर खेला की परंपरा का पालन किया जाता है. यह उत्सव मां दुर्गा की विदाई के दिन मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि सिंदूर खेला की शुरुआत कैसे हुई और इस उत्सव के मनाने का कारण क्या है.

सिंदूर खेला का इतिहास और इसका महत्व बंगाली हिंदू संस्कृति तथा दुर्गा पूजा की समृद्ध परंपराओं से गहराई से संबंधित है. इसके आरंभ का कोई निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह एक प्राचीन परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं की भूमिका को सशक्त और सम्मानित करना है. इसका धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है.

सिंदूर खेला कैसे मनाया जाता है?

दुर्गा विसर्जन के दिन आरती के साथ सिंदूर खेला की प्रक्रिया आरंभ होती है. इसके पश्चात, लोग मां दुर्गा को भोग अर्पित करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष एक शीशा रखा जाता है, जिसमें माता के चरणों के दर्शन होते हैं. यह मान्यता है कि इस शीशे में घर में सुख और समृद्धि का निवास होता है. इसके बाद सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है, जिसमें महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर शुभकामनाएं देती हैं. अंत में, दुर्गा विसर्जन किया जाता है.


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