Nano Urea: लोकसभा में मंगलवार 30 जुलाई 2024 को बजट पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अखिलेश यादव ने अपने एक सवाल में कहा, ‘सरकार बताए कि नैनो यूरिया से किसानों को कितना फायदा हुआ?’ इस समय देश में खरीफ फसलों में प्रमुख धान की रोपाई शुरू हो गई है. धान की बुवाई से कटाई के पहले तक खाद की जरूरत पड़ती है. सरकार खरीफ और रबी फसलों में छिड़काव के लिए बढ़ावा दे रही है. बताया यह जा रहा है कि पारंपरिक यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसानों को फसलों में खाद के छिड़काव पर खर्च घटेगा और फसलों की उत्पादकता बढ़ने से उनकी आमदनी भी बढ़ेगी. क्या सही मायने में नैनो यूरिया से किसानों का खर्च घटता है और उनकी आमदनी बढ़ती है? आइए, इसके बारे में जानते हैं.
नैनो यूरिया क्या है?
नैनो यूरिया एक प्रकार का खाद है, जिसे नैनो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल तैयार किया जाता है. इसमें पारंपरिक यूरिया के मुकाबले काफी छोटे कण होते हैं. इसे पानी में घुलने में समय नहीं लगता और पौधे इसे तेजी से अवशोषित करके पोषक तत्व हासिल करते हैं. नैनो यूरिया को बाजार में लाने के पीछे का उद्देश्य फसलों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना और उनकी उत्पादकता को बढ़ाना है. नैनो यूरिया बोरी के बजाय 500 मिलीलीटर की बोतल में आता है.
नैनो यूरिया की कीमत क्या है?
देश के बाजारों में 500 मिलीलीटर वाले एक बोतल नैनो यूरिया की कीमत 240 रुपये है. हालांकि, राज्यों के हिसाब से इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव होने की संभावना रहती है. वहीं, 45 किलोवाली एक बोरी पारपंरिक यूरिया की कीमत 266.50 रुपये होती है. यह की सरकार की ओर से सब्सिडी दिए जाने के बाद निर्धारित की गई है.
एक बोतल नैनो यूरिया को जमीन के कितने रकबे पर छिड़का जा सकता है?
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 500 मिलीलीटर एक बोतल नैनो यूरिया का करीब 1 एकड़ रकबे में लगी फसलों में छिड़काव किया जा सकता है. नैनो यूरिया का फसलों में छिड़काव करने से पहले इसे पानी में घोला जाता है. इसके बाद इसे फसलों पर स्प्रे करके छिड़का जाता है. हालांकि, पारंपरिक यूरिया की 45 किलोग्राम की एक बोरी से 1 एकड़ पर लगी फसलों में छिड़काव किया जा सकता है. हालांकि, किसानों को हिदायत यह दी जाती है कि नैनो यूरिया का डीएपी के साथ मिलाकर छिड़काव नहीं किया जाना चाहिए, जबकि पारंपरिक यूरिया को डीएपी के साथ मिलाकर छिड़काव किया जाता है.
नैनो यूरिया से किसानों की आमदनी कैसे बढ़ेगी?
मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि नैनो यूरिया के प्रयोग से धान की फसल का उत्पादन बढ़ता है. हालांकि, धान की उत्पादकता में बढ़ोतरी मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु, खेती की तकनीक और सिंचाई के साधन पर भी निर्भर करती है. एक अनुमान के अनुसार, नैनो यूरिया के इस्तेमाल से धान की उपज में 8-10 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है. अगर सामान्य परिस्थितियों में पारंपरिक खादों के इस्तेमाल से एक एकड़ जमीन में धान की उपज लगभग 20 क्विंटल होती है, तो नैनो यूरिया इस्तेमाल से धान की उपज बढ़कर 21.6 से 22 क्विंटल तक हो सकती है. इससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होने का अनुमान लगाया गया है. दूसरा यह कि नैनो यूरिया को बाजार से घर तक लाने में किसी गाड़ी की जरूरत नहीं पड़ती, जबकि पारंपरिक यूरिया को गाड़ी पर लादकर लाने से किसानों का खर्च बढ़ जाता है? परिवहन लागत होने वाली कटौती को भी किसानों की आमदनी से जोड़कर देखा जाता है.
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