वास्तु शास्त्र दिशाओं को दर्शाता है.फेंगशुई जगह के भौगोलिक और परंपराओं से प्रभावित होता है.
Difference Between Vastu and Feng Shui : हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. ये सबसे प्राचीन विज्ञान में से एक माना जाता है. वास्तु शब्द घर और भवन का प्रतिनिधित्व करता है. जो बहुत फायदेमंद साबित होता है. घर में मौजूद वस्तु को किस स्थान पर रखना है. उस सामान की सही दिशा क्या होनी चाहिए? इन सभी बातों के बारे में वास्तु शास्त्र में लिखा गया है. जो व्यक्ति इन नियमों के अनुसार घर में सामान को रखता है, उसको शुभ फल प्राप्त होते हैं. वहीं फेंगशुई एक चीनी प्राचीन कला है. यह खुशी और नियंत्रण के साथ जीवन को सहज बनाने में मदद करती है. इस विषय में विस्तार से बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
क्या है फेंगशुई का अर्थ?
चीनी भाषा में फेंग का मतलब होता है हवा और शुई का मतलब पानी. ये ब्रह्मांडीय शक्तियों के साथ जुड़कर जीवन में सामजस्य स्थापित करने में मदद करता है.
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वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में अंतर
वास्तु शास्त्र दिशाओं को दर्शाता है और ये उनके संतुलन पर आधारित होता है. वहीं फेंगशुई जगह के भौगोलिक और परंपराओं से प्रभावित होता है.
वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा शुभ होती है. ये चीजों को आकर्षित करने में उपयोगी है. इसे चुंबकीय ऊर्जा माना जाता है. पूर्व दिशा में सूर्य की ऊर्जा है. वहीं अगर बात की जाए फेंगशुई की तो उत्तर दिशा को अशुभ कहा जाता है.
वास्तु और फेंगशुई में अंतर के उदाहरण
वास्तु शास्त्र में किचन में भोजन बनाते वक्त चूल्हे को दाईं ओर रखा जाता है और सिंक बाईं तरफ रखते हैं. वहीं अगर फेंगशुई की बात की जाए तो खाना पकाने की जगह और सिंक एक-दूसरे के सामने नहीं होना चाहिए .
वास्तु शास्त्र में दक्षिण या पूर्व दिशा की तरफ सिर करके सोना अच्छा होता है. वहीं फेंगशुई में सोने की दिशा अक्सर व्यक्ति की शुभ दिशाओं के हिसाब से होनी चाहिए.
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वास्तु शास्त्र के हिसाब से किसी स्थान में दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में कोई बड़ा फर्नीचर होना चाहिए. ऐसे में उत्तर और पूर्व क्षेत्र में जगह रहेगी, जिसे शुभ माना जाता है. वहीं फेंगशुई की बात करें तो बड़े या भारी फर्नीचर को उत्तर जगह में होना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 17:31 IST