Thursday, November 14, 2024
HomeReligionDev Uthani Ekadashi 2024 vrat katha: आज देवउठनी एकादशी पर पढ़ें ये...

Dev Uthani Ekadashi 2024 vrat katha: आज देवउठनी एकादशी पर पढ़ें ये कथा

Dev Uthani Ekadashi 2024 Vrat Katha: देवउत्थान एकादशी, जो दिवाली के तुरंत बाद आती है, आज 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाया जा रहा है. पवित्र वेद-पुराणों के अनुसार, इस दिन देवताओं की नींद समाप्त होती है. इस दिन से चतुर्मास का समापन होता है, जिसके फलस्वरूप सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे मुंडन संस्कार, विवाह, गृह-प्रवेश आदि का आरंभ किया जाता है.  इस दिन एक विशेष कथा का पाठ किया जाता है, आइए जानें

देवउठनी एकादशी व्रत कथा

धर्म ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक राज्य में एकादशी के दिन सभी प्राणी, चाहे वे मनुष्य हों या पशु, अन्न का सेवन नहीं करते थे. एक दिन भगवान विष्णु ने राजा की परीक्षा लेने का निर्णय लिया और एक सुंदर स्त्री का रूप धारण करके सड़क के किनारे बैठ गए. जब राजा की भेंट उस स्त्री से हुई, तो उन्होंने उससे बैठने का कारण पूछा. स्त्री ने उत्तर दिया कि वह असहाय है. राजा उसके सौंदर्य से प्रभावित होकर बोले कि तुम रानी बनकर मेरे साथ महल चलो.

सुंदर स्त्री ने राजा के समक्ष एक शर्त रखी कि वह तभी इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगी जब उसे पूरे राज्य का अधिकार दिया जाएगा और राजा को उसके द्वारा बनाए गए भोजन का सेवन करना होगा. राजा ने इस शर्त को मान लिया. अगले दिन एकादशी के अवसर पर, सुंदरी ने बाजारों में अन्य दिनों की तरह अनाज बेचने का आदेश दिया. उसने राजा को मांसाहार खाने के लिए विवश करने का प्रयास किया. राजा ने उत्तर दिया कि आज एकादशी के व्रत के कारण वह केवल फलाहार ग्रहण करता है. रानी ने शर्त का स्मरण कराते हुए राजा को चेतावनी दी कि यदि उसने तामसिक भोजन नहीं खाया, तो वह बड़े राजकुमार का सिर धड़ से अलग कर देगी.

राजा ने अपनी स्थिति बड़ी रानी के समक्ष प्रस्तुत की. बड़ी महारानी ने राजा को धर्म का पालन करने की सलाह दी और अपने पुत्र का बलिदान देने के लिए सहमत हो गई. राजा अत्यंत निराश थे और सुंदरी की बात न मानने के परिणामस्वरूप राजकुमार का बलिदान देने के लिए तैयार हो गए. श्रीहरि ने राजा के धर्म के प्रति समर्पण को देखकर अत्यंत प्रसन्नता व्यक्त की और अपने वास्तविक रूप में प्रकट होकर राजा को दर्शन दिए.

विष्णु जी ने राजा को बताया कि तुमने मेरी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है, बताओ तुम्हें क्या वरदान चाहिए. राजा ने इस जीवन के लिए प्रभु का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब मेरा उद्धार करें. श्रीहरि ने राजा की प्रार्थना को स्वीकार किया और उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक में भेज दिया.

देवउठनी एकादशी का महत्व

भगवान विष्णु के बारे में कहा जाता है कि वे आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार महीने के लिए क्षीरसागर में विश्राम करते हैं. चार महीने बाद, वे कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं. इस चार महीने के शयनकाल के दौरान विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है. केवल हरि के जागने के बाद, अर्थात भगवान विष्णु के जागने के उपरांत ही सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं.


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular